साधारण शुरुआत से असाधारण सफर
कृष्णा यादव उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से दिल्ली आई थीं। दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करने वाली कृष्णा ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उनका नाम सफल महिला उद्यमियों में गिना जाएगा। उनके जीवन की कठिनाइयों ने ही उन्हें एक मजबूत व्यवसायी बना दिया।
500 रुपये, एक सपना और अचार की शुरुआत
कृष्णा के पति को खेती में घाटा हुआ, जिससे पूरा परिवार आर्थिक तंगी में आ गया। लेकिन कृष्णा ने हार नहीं मानी। उन्होंने 500 रुपये उधार लेकर अपने घर की रसोई में अचार और चटनी बनाना शुरू किया। गुणवत्ता, पारंपरिक स्वाद और स्थानीय सामग्रियों की वजह से उनके उत्पाद जल्द ही लोगों को पसंद आने लगे।
श्री कृष्णा अचार – एक ब्रांड की कहानी
धीरे-धीरे उन्होंने ‘श्री कृष्णा अचार‘ की स्थापना की। आज उनकी फैक्ट्री में 250 से अधिक उत्पाद बनते हैं और हर दिन 10-20 क्विंटल अचार तैयार होता है। उनका सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपये है और उनकी यूनिट 100 से अधिक महिलाओं को रोजगार देती है।
नवाचार और ग्राहक सेवा की अनूठी रणनीति
कृष्णा सड़क किनारे ग्राहकों को मुफ़्त अचार और पानी देती थीं। इस सरल लेकिन प्रभावशाली रणनीति ने लोगों का दिल जीत लिया और उनके उत्पाद बाज़ार में अलग पहचान बना पाए।
एक महिला की ताकत, जो हजारों की प्रेरणा बन गई
कृष्णा यादव आज न सिर्फ एक सफल व्यवसायी हैं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण भी हैं। उनके संघर्ष, आत्मविश्वास और मेहनत की कहानी हर उस महिला को प्रेरित करती है जो सीमित संसाधनों में भी कुछ बड़ा करना चाहती है।