
प्रियंका चोपड़ा जोनास की प्रसिद्धि आज समूचे विश्व में फैली हुई है लेकिन उन्की यहां तक पहुंचने की यात्रा कई के पीछे उन्की लगन और हर परिस्तिथि के अनुसार अपने को ढालने की प्रवृति और विभिन्न संस्कृतियों से तालमेल बैठाने की क्षमता का बहुत बड़ा योगदान है। इसके लिए उन्की परवरिश ने अहम भूमिका निभायी। एक आर्मी ऑफिसर के घर पैदा हुई प्रियंका चोपड़ा की शिक्षा अलग जगह पर हुई क्योकिं उनके पिताजी का सेना के मूलभूत सिद्धातों की वजह से तबादला होता रहता था। इस वजह से उनको अलग अलग माहौल अलग संस्कृति के साथ तालमेल बैठाना जरुरी होता था।
एक कहावत है होनहार विद्वान के होत चिकने पात। यह कहावत प्रियंका चोपड़ा पर सटीक बैठती है। उन्होनें अपने स्कूल के दिनों से ही नाटको में भाग लेना शुरु कर दिया था और सैनिक पृष्ठ भूमि से आने की वजह से वह अथलैटिक्स में आगे रहती थी। उनके जीवन में युगांतकारी परिवर्तन तब आया जब वह मात्र 13 साल की उम्र में अपनी चाची के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका चली गयी। उन्हें आयोवा में, उन्हें एक नई संस्कृति और भाषा को अपनाने की चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस अनुभव ने उनके आत्मविश्वास को बढ़ावा दिया। 16 साल की उम्र में भारत वापस आने पर भाग्य ने उनके लिए अलग ही पटकथा लिखी थी। 2000 में, 18 साल की उम्र में, प्रियंका ने मिस इंडिया प्रतियोगिता में भाग लिया और प्रतिष्ठित ताज जीता। यह जीत तो बस शुरुआत थी. कुछ महीनों बाद, उन्होंने मिस वर्ल्ड 2000 बनकर दुनिया में तहलका मचा दिया। अचानक, बरेली की शर्मीली लड़की सुर्खियों में आ गई, उसका चेहरा पूरे भारत में होर्डिंग और मैगज़ीन कवर की शोभा बढ़ा रहा था।
प्रियंका सिर्फ ब्यूटी क्वीन बनकर ही नही रहना चाहती थी अपितु उनकों अपनी अभिनय क्षमता दिखाने के लिए एक मंच की दरकार थीं। उन्होनें दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड की तरफ अपने कदम बढ़ाए । उनको इस यात्रा में पहले पहल कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। आलोचकों ने उनकी अभिनय क्षमताओं पर सवाल उठाए, और कुछ निर्देशकों ने उन्हें केवल उनकी सौंदर्य प्रतियोगिता की प्रसिद्धि के आधार पर चुना।
परन्तु प्रियंका ने निडरता पूर्वक इन विपरित परिस्तिथियों का सामना किया। उन्होंने अभिनय कक्षाओं में दाखिला लिया, अपनी कला को निखारा और संदेह करने वालों को गलत साबित किया। अपनी मनमोहक स्क्रीन उपस्थिति, निर्विवाद प्रतिभा और विविध भूमिकाएँ निभाने की क्षमता से उन्होंने प्रतिस्पर्धी बॉलीवुड परिदृश्य में अपने लिए एक जगह बनाई। एक्शन से भरपूर “डॉन” से लेकर “ऐतराज” और दिल छू लेने वाली “बाजीराव मस्तानी” तक, प्रियंका ने दर्शकों और आलोचकों को समान रूप से मंत्रमुग्ध करते हुए अपनी बहुमुखी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
प्रियंका की महत्वाकांक्षाएँ बॉलीवुड से आगे बढ़ने की थीं। उसे अपने करियर को सीमाओं से बाधना पसंद नही था। वर्ष 2015 उनके जीदंगी में एक नया मोड़ लेकर आया जब उन्होंने “क्वांटिको” के साथ अमेरिकी नेटवर्क ड्रामा सीरीज़ का नेतृत्व करने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री के रूप में हिस्सा लेकर इतिहास रचा। आतंकवादी हमले के लिए दोषी ठहराए गए एक शानदार एफबीआई प्रशिक्षु एलेक्स पैरिश की भूमिका निभाते हुए, प्रियंका ने सांस्कृतिक बाधाओं को तोड़ दिया और हॉलीवुड में दक्षिण एशियाई अभिनेताओं की छवि को फिर से परिभाषित किया।
“क्वांटिको” प्रियंका की हॉलीवुड विजय की शुरुआत थी। उन्होंने “बेवॉच” और “इज़ंट इट रोमांटिक” जैसी प्रमुख हॉलीवुड प्रस्तुतियों में अभिनय किया, और अमेरिका के प्रमुख अभिनेताओं के साथ काम किया। उन्होंने एनिमेटेड फिल्म “द व्हाइट टाइगर” में भी अपनी आवाज दी, जिससे वैश्विक मनोरंजन उद्योग में उनकी उपस्थिति और मजबूत हुई।
प्रियंका चोपड़ा जोनास सिर्फ एक अभिनेत्री से कहीं अधिक हैं; वह एक वैश्विक आइकन हैं। वह यूनिसेफ की सद्भावना राजदूत हैं, जो बच्चों के अधिकारों और शिक्षा की वकालत करने के लिए अपने मंच का उपयोग करती हैं। वह एक सफल उद्यमी हैं, जिन्होंने अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी, पर्पल पेबल फिल्म्स लॉन्च की है। और 2018 में, उन्होंने गायक निक जोनास से शादी की, एक ऐसा मिलन जिसने दुनिया का ध्यान खींचा और अंतर–सांस्कृतिक प्रेम की अद्भुत मिसाल प्रस्तुत की ।
प्रियंका का सफर लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है. यह विपरित परिस्तिथियों के साथ समंजस्य बैठाने एवं अटूट महत्वाकांक्षा की एक मिसाल है। यह प्रसिद्धी की शिखर पर पहुचनें पर भी अपनी जड़ों को न भूलने की एक सफल कहानी है। बरेली के छोटे से शहर से लेकर हॉलीवुड की चकाचौंध रोशनी तक, प्रियंका चोपड़ा जोनास ने अपनी शर्तों पर सफलता को फिर से परिभाषित करना जारी रखा है, जिससे साबित होता है कि सपनों की वास्तव में कोई सीमा नहीं होती है।







































