उत्तराखंड की महिलाओं को सशक्त बनातीं कीर्ति कुमार: 1000 से अधिक महिलाओं को बनाया स्वतंत्र उद्यमी!

a woman in a blue dress with a red background and a quote about the importance

उत्तराखंड राज्य अपनी नैसर्गिक, सुंदरता, सुरम्य वातावरण एवं लुभावने परिदृश्यों की वजह से सैलानियों को आकर्षित करता रहता है। अधिकतर लोग भ्रमण के उद्देश्य से लुफ्त उठाने के लिए उत्तराखंड जाते है, कुछ लोग अपवाद स्वरुप, व्यक्तिगत आनंद को तरजीह देकर वहां के प्राकृतिक संसाधनों का स्थानीय लोगों द्वारा उपयोग को बढ़ावा देने का भी प्रयास शुरु करते हैँ। कीर्ति कुमार का नाम इस प्रकार के लोगों में शुमार है जिन्होंनें उत्तराखंड के स्थानीय लोगों की आजीविका सुधारने के लिए विशेषकर महिलाओं में उद्यमिता के विकास पर जोर दिया है।

32 वर्षीय खाद्य वैज्ञानिक कीर्ति कुमार ने उत्तराखंड की महिलाओं को अपना अपना उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया, उन्होंनें उन उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर दिया, जो स्थानीय संसाधनों से विकसित किये जा सके। इसके लिए उन्होंने स्थानीय स्वयं सहायता समूह से सहयोग किया और उनके साथ मिलकर स्थानीय महिलाओँ को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित किया और इसके लिए स्थानीय महिलाओं को प्रशिक्षित भी किया।

कीर्ति कुमार के मार्गदर्शन और उनकी टीम के ठोस प्रयासों की बदौलत उत्तराखंड में 1000 से अधिक महिलाएं स्वतंत्र व्यवसाय स्वामियों के रूप में विकसित हुई हैं। अब महिलायें स्थानीय उत्पादों के लिए जैविक खादों का इस्तेमाल करतीं हैं और इन जैविक उत्पादों का विपणन करते हैं, जिनमें स्वादिष्ट जैम और पौष्टिक आटे से लेकर देशी फलों, फसलों, सब्जियों और फूलों से प्राप्त खाद्य प्रदार्थों की एक श्रृंखला शामिल है।

यह कदम एक नेक पहल के रूप में उठाया गया था अब यह एक संपन्न आर्थिक पारिस्थितिकी तंत्र में विकसित हो गया है। कीर्ति की देखरेख में और एसएचजी के सहयोग से स्थापित ब्लॉकस्तरीय प्रसंस्करण इकाइयाँ अब 1 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने लगी, जो जमीनी स्तर पर महिला सशक्तिकरण का एक ज्वलंत प्रमाण है।

यह महिलायें अपने साथसाथ अपने इलाके के कल्याण के प्रति समर्पित हैं, इन उद्यमशील महिलाओँ को दस स्वयं सहायता समूह का समर्थन प्राप्त हैं और विशिष्ट पोषण संबंधी आवश्यकताओं के अनुरूप आवश्यक घरेलू वस्तुओं का निर्माण और वितरण करती हैं। लौहसमृद्धलड्डूसे लेकर पौष्टिक रागीबर्फीतक, उनका प्रसाद कुपोषित स्कूली बच्चों, किशोर लड़कियों और गर्भवती माताओं की जरूरतों को पूरा करता है और दूरदूर तक इनके द्वारा तैयार पौष्टिक पदार्थों का धूम मची है।

इनकी सफलता ने स्थानीय सीमाएं लांघ ली है और अपने क्षेत्र से बाहर भी इनके द्वारा तैयार पदार्थो की मांग लगातार बढ़ रही है। प्रतिष्ठित रागी बर्फी जैसे उत्पादों को इतनी प्रशंसा मिली है कि राज्य सरकार ने उनके लिए प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग की मांग की है। ये लोकप्रिय व्यंजन अब देश भर में विभिन्न दुकानों के माध्यम से किफायती कीमतों पर उपलब्ध हैं।

उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए कीर्ति कुमार को हाल ही में राज्य सरकार से सम्मान मिला है। अपनी यात्रा पर विचार करते हुए, उन्होंने टिप्पणी की, “उत्तराखंड की पहाड़ियों, विशेषकर टिहरी के सामाजिकआर्थिक मुद्दों का अध्ययन करने और समझने में मुझे तीन साल से अधिक का समय लगा। मैंने अपने ज्ञान और अनुभव से कुछ करने का निर्णय लिया। उत्तराखंड में 80 प्रतिशत से अधिक खेती महिलाएं करती हैं, लेकिन उन्हें इसका लाभ नहीं मिलता है।

मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर की रहने वाली और एम.टेक की डिग्री से लैस कीर्ति अब टेहरी गढ़वाल में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय में अपना ज्ञान प्रदान करती हैं। सतत विकास और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता उत्तराखंड के पहाड़ों के बीचोंबीच एक उज्जवल, अधिक समावेशी भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हुए प्रेरणा देती रहती है।

कीर्ति कुमार की यात्रा व्यक्तिगत समर्पण और सामूहिक सशक्तिकरण के परिवर्तनकारी प्रभाव का प्रतीक हैजो आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक समरस्ता के लिए प्रयास कर रहे समुदायों के लिए आशा की किरण है। अपने अथक प्रयासों के माध्यम से, वह केवल स्थानीय लोगो के जीवन को बेहतर बनाती है और क्षेत्र के समग्र विकास में अहम भूमिका निभाती है। बल्कि उत्तराखंड के प्राचीन परिदृश्य में सशक्तिकरण की कहानी को भी नया आकार देती हैं।

आपके लिए ख़ास

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *