कुछ कर गुजरने की हसरत दिल में हो तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। बेसी कोलमैन की कहानी भी यही बयॉ करती है। वह अमेरिका की मूल अफ्रीकन निवासी थी। उसको हवा में कर्तब करने की ख्वाईश बचपन से थी। वह एक मैनीक्योरिस्ट के तौर पर काम करती थी। शिकागो की रहने वाली इसका बड़ा भाई अमेरिकन सेना में था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उसकी तैनाती फ्रांस में थी। उस समय फ्रांस में महिलायें हवाई जहाज भी उड़ाया करती थी जबकि अमेरिकी महिलाओं ने अभी तक इस क्षेत्र में कदम नहीं रखा था।
एक दिन नशें के धुत्त में बेसी कोलमैन के भाई ने उससे पूछा कि तुम क्या काम करती है। उसके कार्य के उपर ताने कसे और कहा कि जहाज उड़ाना अमेरिकी महिलाओं के वश की बात नही है। यह काम तो फ्रांसीसी महिलायें ही कर सकती हैं। इसी दिन कोलमैन ने कसम खायी कि वह पायलट बनकर अपने भाई को गलत साबित करेगी। दरअसल यहीं से उनके संघर्ष की शुरुआत हुई। उन्होंने कई पायलटों से सम्पर्क किया परन्तु कोई भी उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए तैयार नहीं हुआ थक हार कर उन्होंने फ्रांस जाने का निर्णय लिया। 1920 में कलमैन स्टीमशिप से फ्रांस पहुंची उन्होंने कॉड्रान ब्रदर्स स्कूल ऑफ एविएशन से पायलट का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने मीदरलैड एवं जर्मनी में भी प्रशिक्षण लिया। उन्होंने लूप-द-लूप टेलस्पिन, विंग वॉक और पैराशूट जैसे हवाई स्टंट भी किये। 15 जून 1921 को, कोलमैन ने फेडेटेशन एरोनॉटिक इंटर नेशनल से पायलट लाइसेंस प्राप्त किया अब वह दुनिया में कहीं भी हवाई जहाज उड़ा सकती थी। सितम्बर 1921 में न्यूयाक लौटने पर एसोसिएटेड प्रैस ने उन्हें प्रशिक्षित महिला पालयट की उपाधि दी।
इसके बाद कोलमैन अपने हवाई स्टंट की वजह से काफी प्रसिद्ध हुई। ऊंचे आसमान में स्टंट करना उसकी हॉबी थी। वह उस समय दुनिया के कुशल पायलट के रुप में जानी जाती थी। लेकिन कोलमैन उस समय अमेरिकी समाज में व्याप्त नस्लवाद की घोर विरोधी थी और उन्होनें गोरे और काले लोगो के लिए अलग अलग एअर शो करने से मना किया था। वह काले लोगो को लिए उड्डयन के माध्यम से सशक्त करने की पक्षधर थी और काले लोगो के लिए उड़ान सशक्त खोलना चाहती थी। वह 1926 में जैक्सनविल, फ्लारिडा में एक एअर शो में भाग लेने गयी थी। दुर्भाग्य से शो से पहले परीक्षण उड़ान में जहाज के कांकपिट से गिरकर उनकी मृत्यु हो गयी, तब वह मात्र 34 वर्ष की एयरो क्लब थी। कोलमैन का अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए उड़ान स्कूल खोलने का सपना 1929 में पूरा हुआ। उनका यह सपना इंजीनियर विलियम पावेल ने पूरा किया और उनके सम्मान में इस उड़ान स्कूल का नाम बैसी कोलमैन रखा।
बैसी कोलमैन की इस असाधारण सफलता के बावजूद अमेरिकी अश्वेत समाज में उनको वह सम्मान नहीं मिल पाया जिसकी वह हकदार थी। वर्ष 1992 में माई जेमिसन अंतरिक्ष में जाने वाली पहली अफ्रीकी- अमेरिकी महिला थी। उन्होंने लिखा कि मैं शर्मिंदा हू कि मुझे क्वीन बेस: डेयरडेविल एविएटर के बारे में जानकारी नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि जब में बड़ी हो रही थी। मैं उनके बारे में जानती तो बहुत अच्छा होता। उन्होंने आगे कहा कि फिर भी मुझे यह लगता था कि वह हर समय मेरे साथ थी। वह अंतरिक्ष में कोलमैन की एक तस्वीर अपने साथ ले गयी थी।
जैसा कि अमूमन समाज के निचले स्तर से उठने वाले लोगो के साथ होता है वही कोलमैन के साथ भी हुआ। कोलमैन की उपलब्धियों को उनके जीवन काल में वह सम्मान नहीं मिला जिसकी वह हकदार थीं। डलास एक्सप्रेस ने अपने संपादकीय में लिखा कि आम जनता ने कोलमैन के योगदान को कमतर आंका। यह उनके साथ एक प्रकार का अन्याय था लेकिन आज, बेसी कोलमैन का सफलता हासिल करने के प्रति जूनुन, दृढ़ संकल्प, सकारात्मक दृष्टिकोण और रोंमाच की भावना दुनिया भर के हजारों युवाओं का प्रेरित करती है।