गरीबी को मात देकर अपनी मेहनत एवं पारिवारिक सहायता से निर्मला ने स्वालंबन के क्षेत्र
में एक नई कहानी गढ़ी है। निर्मला ने ‘मारवाड़ी मनवार‘ नाम से पारंपरिक राजस्थानी नाश्ते का
व्यवसाय शुरू किया। अपना खर्च चलाने के लिए कभी निर्मला को 10 रुपया भी मांगना पड़ता
था। ऐसे मुश्किल समय से गुजरने के बावजूद उन्होंने हिम्मत नही हारी और आज 30
महिलाओं को रोजगार दे रही है।
2020 में पति के निधन और लॉकडाउन के कारण निर्मला को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।
उनकी मां, भाई और भाभी ने उनका समर्थन किया और आत्मनिर्भर बनने में मदद की निर्मला ने
‘मारवाड़ी मनवार’ नाम से पारंपरिक राजस्थानी नाश्ते का व्यवसाय शुरू किया, पहला ऑर्डर 150
रुपये का था। आज वह 30 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं, जो घर से काम करके राजस्थानी व्यंजन
तैयार करती हैं। सभी उत्पाद हाथ से बनाए जाते हैं, बिना मशीन या कृत्रिम सामग्री के निर्मला का
उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है।
पारंपरिक राजस्थानी मक्की पालक खिचिया पापड़ सही कुरकुरापन और स्वाद के साथ आता है। जो
हर भोजन को इतना स्वादिष्ट बनाता है। ये खिचिया पापड़ हाथ से बनाए जाते हैं और सावधानी से
स्वच्छ वातावरण में पैक किए जाते हैं। इन्हें अकेले या लंच/डिनर के साथ खाया जा सकता है। यह
खिचिया पापड़ भोजन के साथ और नाश्ते के रूप में खाया जाने वाला बहुत ही स्वादिष्ट और लजीज
नाश्ता है। पारंपरिक रूप से चटनी और अचार के साथ इसका आनंद लिया जाता है। मुख्य सामग्री में
मक्की आटा, पालक, जीरा, अजवायन, लाल मिर्च पाउडर नमक, खाद्य तेल, मसाले आदि का
उपयोग किया गया है।
जब आप पापड़ खाना चाहते हैं, तो आप उन्हें सीधे गैस की आंच पर भून सकते
हैं या लगभग 45-50 मिनट के लिए माइक्रोवेव कर सकते हैं। आप उन्हें तल भी सकते हैं और वे
लगभग तीन गुना आकार के हो जाते हैं। ये खिचिया पापड़ बहुत ही स्वच्छ और पारंपरिक रूप से
प्रामाणिक स्वाद और बनावट सुनिश्चित करने के लिए तैयार किए गए है। आप इसे मसाला चाय के
साथ स्नैक्स के तौर पर भी परोस सकते हैं।