केवल 25 साल की श्रेया नीरज शर्मा अपनी कंपनी रेस्ट द केस (आरटीसी) के साथ कानूनी क्षेत्र में अपना नाम बना चुकी हैं। श्रेया पुणे में अपने बड़े संयुक्त परिवार के साथ रहती है, जिसमें उसके माता–पिता, दादा–दादी, चाचा–चाची और चचेरे भाई–बहन शामिल हैं। श्रेया ने कंपनी का नाम ‘रेस्ट द केस‘ रखा, क्योंकि जब कोई केस बंद हो जाता है तो जज यही कहते हैं।
यह ऑनलाइन सेवा पूरे भारत में लोगों को वकीलों से जुड़ने में मदद करती है। श्रेया नीरज शर्मा ने 2021 में एक कर्मचारी के साथ रेस्ट द केस की शुरुआत की। पुणे में स्थित, आरटीसी की शुरुआत 2021 में महज़ 4.5 लाख रुपये के निवेश के साथ हुई। दो साल में कंपनी का टर्नओवर 50 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। और आरटीसी ने अबतक 1.5 करोड़. लोगों के लिए सही वकील ढूंढना आसान बनाता है। आरटीसी की शुरुआत 2021 में पुणे के विमान नगर में श्रेया के घर के एक कमरे से हुई। यह सिर्फ श्रेया और एक अन्य व्यक्ति थे जो वकीलों तक पहुंचने के लिए ब्रोशर बना रहे थे।
अब, उनकी 15 लोगों की टीम बन गई है, जो 1500 वर्ग फुट के बड़े क्षेत्र में काम कर रही है। उसी क्षेत्र में कार्यालय. टीमों के सदस्य मार्केटिंग, एसईओ, ग्राफिक डिजाइन, सामग्री लेखन, बिक्री और ग्राहक सेवा सहित विभिन्न कार्य करते हैं।
इस प्लेटफार्म के साथ ग्राहक निःशुल्क शामिल हो सकते हैं और अपने कानूनी मुद्दों को हल करने के लिए आरटीसी प्लेटफॉर्म पर लगभग 1500 सत्यापित वकीलों में से चुन सकते हैं। उन्हें मुफ्त कानूनी सलाह प्रदान की जाती है और वे वीडियो या ऑडियो के माध्यम से वकीलों के साथ ऑनलाइन परामर्श कर सकते हैं। यह वेबसाइट समझने में आसान कानूनी मार्गदर्शिका है और यह नवीनतम कानूनी समाचार भी प्रदान करती है। यह वैबसाइट व्यवसाय और वित्त से लेकर विवाह, वसीयत और संपत्ति जैसे व्यक्तिगत मामलों पर मुक्त सलाह प्रदान करती है। कानून के छात्रों के लिए इंटर्नशिप के बारे में विवरण आदि भी इस वेबसाइट में उपलब्ध रहता है। वह अपने व्यवसाय के शुरुआती दिनों को मुस्कुराहट के साथ याद करती हैं।” श्रेया कहती हैं। “जब हमने अपना पहला ब्रोशर बनाया, तो मुझे वकीलों के फोन नंबर ढूंढने थे, बैठकें तय करनी थीं और फिर व्यक्तिगत रूप से जाकर उनसे मिलना था। यह कठिन था, क्योंकि वे सभी मुझसे अधिक अनुभवी था।
श्रेया ने आरटीसी की शुरुआत करने के लिए पुणे के वकीलों से बात की और उन्हें रेस्ट द केस में शामिल होने के लिए मना लिया। इसके लिए उन्हें वकीलों से कई बार मिलना पड़ता था जिससे की उन्हें रेस्ट द केस के बारे में समझाया जा सके और वह वकीलो से यह भी विचार विमर्श करती थीं कि किस तरह उन्हें अधिक ग्राहक मिल सकते है। पुणे से इसकी शुरुआत करने का मुख्य कारण भी यह था कि उन्हें वकीलो से व्यक्तिगत तौर पर मिलना पड़ता था और पुणे स्थित वकिलो से मिलना आसान था।
अपने शुरुआती दौर में श्रेया का सामना कई ऐसे महिला वकीलो से भी हुआ जिन्होने उससे निमित नौकरी ढूढने के लिए कहा क्योंकि उनहे लगता था कि रेस्ट द केस श्रेया के लिए सिर्फ एक शौक है। तब श्रेया के लिए उनहे समझाना कठिन होता था परन्तु इनहीं में से एक महिला वकील ने उनहे समझाया कि अपने आइडिया को बेहतर तरीके से कैसे बेचा जाए। जब पूणे के वकील आरटीसी में शामिल होने लगे, तो श्रेया ने दिल्ली, मुंबई और फिर अन्य शहरों के वकीलो से संपर्क करना शुरु किया। अपने शुरुआती दौर में आरटीसी के साथ लगभग 20-25 वकील थे और 6-7 महीनों में ही पुणे के 100 वकील आरटीसी के साथ जुड़ गए। तभी श्रेया ने अन्य शहरों में विस्तार करने का फैसला किया।”
आरटीसी का बिजनेस मॉडल सीधा है। उनके पास पूरे भारत से लगभग 1500 सत्यापित वकील हैं। आरटीसी टीम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक वकील की साख की जांच उनके बार काउंसिल नंबरों से करती है कि वे असली हैं।
वे उन्हें अपनी वेबसाइट पर जोड़ने से पहले ज़ूम कॉल, गूगल मीट भी करते हैं या उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलते हैं। वकील अपनी वेबसाइट पर एक फॉर्म भरकर, पैकेज चुनकर और अपनी विशेषज्ञता साझा करके आरटीसी में शामिल हो सकते हैं।
ग्राहक आरटीसी तक उनकी वेबसाइट के माध्यम से या उनके कार्यालय में कॉल करके पहुंच सकते हैं। श्रेया बताती हैं, ”ग्राहक हमें अपनी समस्या बताते हैं और फिर हमारी टीम उनके लिए पास में ही सही वकील ढूंढती है।” आरटीसी वकीलों के लिए तीन वार्षिक पैकेज प्रदान करता है, जिसकी लागत रु। 60,000 रु. 90,000, या रु. 1.20 लाख. प्रतिवर्ष होती है । पैकेज के आधार पर, वकीलों को प्रति वर्ष लगभग 60 से 200 लीड मिलते हैं। वकील अपनी फीस का भुगतान ईएमआई में भी कर सकते हैं। आरटीसी उन लोगों को अधिक लाभ देता है जो बड़े पैकेज चुनते हैं, और अपनी प्रोफ़ाइल को अलग दिखाते हैं, ब्लॉग लिखते हैं और सोशल मीडिया पर आरटीसी का प्रचार करते है। आरटीसी के लगभग 30% वकीलों के पास पांच साल का अनुभव है, 50% के पास पांच साल से अधिक का अनुभव है, और 20% के पास 15 साल से अधिक का अनुभव है। आरटीसी में सुप्रीम कोर्ट, जिला अदालतों और उच्च न्यायालयों के वकील भी हैं।
आरटीसी को एक सप्ताह में लगभग 200 से 250 लीड मिलते हैं। वे इन लीडों का मिलान वकीलों से उनकी विशेषज्ञता और स्थान के आधार पर करते हैं, और एक वकील को मिलने वाले लीड की संख्या उनके पैकेज पर निर्भर करती है।
आरटीसी ज्यादातर तलाक के मामलों और संपत्ति विवादों से निपटती है। श्रेया ने बताया कि उन्हें कोविड अवधि के दौरान सबसे अधिक तलाक के मामले मिले। उनके पास भारत के लगभग 200 शहरों से ग्राहक हैं, जिनमें दिल्ली, मुंबई, इलाहाबाद, बैंगलोर, चेन्नई और कोलकाता जैसे बड़े शहर शामिल हैं।
श्रेया, आरटीसी की सीईओ है। इसका संचालन उसकी जिम्मेवारी है। आरटीसी की योजना तय करने से लेकर वकीलों के साथ जुड़ने तक का निर्णय वह ही करती है। 2021 में शुरुआत के बाद से, आरटीसी ने लगभग 2500 ग्राहकों की मदद की है। श्रेया की पहली ग्राहक एक महिला थी जिसने Google पर RTC पाया और उसे तलाक के वकील की आवश्यकता थी। इस ग्राहक ने बाद में श्रेया को बताया कि आरटीसी पर भरोसा करना एक जोखिम था जिसका फल मिला, जिससे श्रेया को एहसास हुआ कि वह कुछ सार्थक कर रही है।
आरटीसी Google विज्ञापनों, इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब, लिंक्डइन, सोशल मीडिया प्रभावकों और पॉडकास्ट के माध्यम से अपनी मार्केटिंग करती है। उनके पास Spotify पर ‘लीगली स्पीकिंग विद रेस्ट द केस‘ नाम से एक पॉडकास्ट भी है, जहां वे आम जनता के लिए कानूनी चीजों को सरल बनाती हैं।