उत्तराखंडः महिला सशक्तिकरण की अनूठी पहल

a woman with a child in a yellow jacket

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य की महिलाओं के सर्वागींण विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गये हैं। राज्य में पहली बार महिलाओँ को समप्ति में अधिकार प्रदान करने के लिए राज्य महिला आयोग के द्वारा एक मसौदा तैयार किया गया है इसके तहत महिलाओं को समप्ति में अधिकार एवं अन्य कई महत्वपूर्ण योजनाएं समाहित है। राज्य महिला आयोग ने राज्य की विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागो से सलाह मश्वरा इस मसौदे को तैयार किया है। इसमें महिलाओं और छात्राओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, महिलाओँ के आर्थिक गतिविधियों में सहभागिता एवं नीति निरधारण में महिलाओं की भागेदारी आदि के बारे में कई योजनाएँ समाहित है। इस मसौदे का एक मुख्य पहलू एकल महिलाओं के विकास के लिए जरुरी योजनाओं का कार्यान्वयन भी शामिल है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत का क्षैतीज आरक्षण दिया है। यह आरक्षण सरकारी नौकरियों के साथ साथ सरकार द्वारा समर्थित विभिन्न संगठनों एवं स्वायत संस्थानों में भी लागू होगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री धामी जी ने महिला सशक्तिकरण योजना, मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना, लखपती दीदी योजना, मुख्यमंत्री आंचल अर्मित योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एवं नंदा गौरा मातृ वंदना योजना आदि योजनाओं को राज्य में लागू किया है। इन योजनाओं के अलावा राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए कई अन्य कदम भी उठाए है। महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग, उत्तराखंड सरकार ने महिलाओं के उत्थान के लिए कई योजनाएं लागू की है। इनमें से एकीकृत बाल विकास सेवाएँ के तहत एक से 6 वर्ष के बालिकाओँ एवं उनकी माताओं को सहायता दी जाती है। इस योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं गरिब परिवार की महिलाओं को मदद दी जाती है। इसके तहत पौष्टिक आहार टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच आदि सेवायें प्रदान की जाती है।

इसी विभाग के अंतर्रगत किशोरी शक्ति योजना भी चलीयी जाती है। यह योजना 11 से 18 वर्ष की बालिकाओँ के लिए है, जो स्कूली शिक्षा ग्रहण नही कर रहे होते है। इस योजना के तहत बीपीएल परिवारों को सहायता दी जाती है। इसके अलावा यह विभाग कई अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से इस वर्ग की बालिकाओं को सहायता प्रदान करती है।

मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना के तहत महिला लाभार्थियों को महालक्ष्मी किट दिया जाता है। प्रतिवर्ष 50 हजार महिला लाभार्थियों को सहायता दी जाती है। मुख्यमंत्री श्री धामी जी ने कहा कि यह योजना लिंगानुपात को भी बढ़ावा देगा।

सबला योजनाः यह योजना 11 से 18 वर्ष की किशोरियों के विकास के लिए है अभी यह योजना हरिद्वार चमोली एवं नैनीताल जिले में चलायी जा रही है। इसके तहत इन किशोरियों को प्रशिक्षण दिया जाता है और किशोरी किट भी प्रदान किया जाता है।

मातृत्व सहयोग योजनाः इस योजना के तहत बच्चे के जन्म के समय ही सीधे लाभार्थियों को कैश दिया जाता है। इसके तहत लाभार्थी को 5000 रुपये 3 किशतों में दिये जाते है। बच्चे के पैदा होते ही 1000 रुपया सीधे कैश दिया जाता है।

स्वधार योजनाः इसके तहत गरीब महिलाओं को घर बनाने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। अभी तक 10 स्वाधार घर लाभार्थियों को वितरित किये जा चुके है।

उज्जवला योजनाः इस योजना के तहत जो महिलायें परिस्थितिवश अनैतिक कार्य करने के लिए विवश होती है उनकों मुख्यधारा से जोड़ने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

स्टेप योजनाः इस योजना के तहत महिलाओं को स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह प्रशिक्षण गैर सरकारी संस्थानों के सहयोग से प्रदान किया जाता है। इस योजना में पांरम्परिक व्यवसाओं जैसे डेयरी, कृषि, बागवानी आदि क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जाता है।

घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियमः इसके तहत महिला अधिकारियों को हिंसा का हल ढूंढने के लिए प्राथमिकता दी जाती है। इस योजना का कार्यान्वयन के लिए गैर सरकारी संस्थानों का सहयोग लिया जाता है। पूरे राज्य के सभी जिलों के लिए गैर सरकारी संस्थानों का चयन किया जाता है, जो घरेलू हिंसा से पीढ़ित महिलाओं की मदद करती है।

गौरा देवी कन्याधन योजनाः इस योजना के माध्यम से उत्तराखंड से गरीब परिवारों की बेटियों को रुपये 50 हजार की आर्थिक मदद दी जाती है, जो लड़कियां 12 पास कर लेती हैं यह रकम सीधे उनके खाते में डाल दी जाती है।

तीलू रौतेली पुरस्कारः इज योजना के तहत उन महिलाओं और किशोरियों को रुपये 10 हजार दिये जाते है और साथ में प्रशस्ति पत्र भी दिया जाता है जो किसी भी क्षेत्र में विशेष उपल्बधि प्राप्त करते है।

मुख्यमंत्री आंचल अर्मित योजनाः इस योजना के तहत 3 से 6 वर्ष के बच्चों को पोष्टिक आहार मुफ्त में प्रदान किया जाता है। एक सप्ताह में 4 दिन यह आहार बच्चों को उनके घर के नज़दीक आंगनवाड़ी से उपल्बध किया जाता है।

मुख्यमंत्री एकल सशक्त स्वरोजगार योजनाः इस योजना के तहत एकल महिलाओं को स्वालंबी बनाना एवं सश्क्त करना है और स्थानीय स्तर पर ही उनकों रोजगार मुहैया कराना भी इस योजना का उद्देश्य है। इसके माध्यम से गर्भवती महिलाओं को बादाम, अखरोट आदि फल एवं 2 जोड़े के मोजे, 1 कम्बल, तौलिया, चादर, नहाने का साबुन एवं कपड़े धोने का साबुन आदि दिया जाता है। 1 से 6 वर्ष की लड़कियों के लिए वैकसीनेशन कार्ड, बेबी ऑयल, बेबी साबुन, बेबी कम्बल, बर्श फीडिंग न्यूट्रीशन कार्ड आदि दिया जाता है।

मुख्यमंत्री महिला सतत् आजीविका योजनाः योजनान्तर्गत निराश्रित, विधवा एवं निर्बल वर्ग की महिला/किशोरी हेतु आवश्यकता एवं मांग आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम करने के साथ ही चयनित लाभार्थियों को प्रशिक्षण अवधि में रु0 1 हजार की छात्रवृत्ति एवं प्रशिक्षणोपरान्त रु0 50 हजार तक सीड अनुदान प्रदान किये जाने का प्रावधान है।

महिला समेकित योजनाः यह योजना उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र की महिलाओँ की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनायी गयी है। इस योजना के अंर्तगत पहाड़ की महिलाओँ के विकास के लिए कई नीतिया तैयार की जा रही हैं, जिससे की उनका सशक्तिकरण किया जा सके।

उत्तराखंड में महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए उद्योगिनी योजना लागू है। इसके तहत ग्रामीण अशिक्षित महिलाओं को उनका हुनर निखारने में मदद दी जाती है और उन्हें बाजार की समस्याओं से अवगत कराया जाता है।

महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठायें है। राज्य सरकार ने सी एम एडवाइज़री ग्रुप बनाया है इसके तहत स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनायी है। उत्तराखंड स्टार्टअप पॉलिशी के तहत अनूसुचित जाति एवं अनूसुचित जनजाति महिलाओं को रुपये 15 हजार की आर्थिक सहायता स्टार्टअप शुरु करने के लिए दी जाती है और सामान्य वर्ग की महिलाओं 10 हजार रुपया प्रदान किया जाता है। अभिनव प्रोजेक्ट के लिए महिला उद्यमियों को रुपये 5 लाख की आर्थिक सहायता का प्रावधान है जबकि इस श्रेणी में अनूसुचित जाति एवं अनूसुचित जनजाति महिलाओं को 7.5 लाख की आर्थिक सहायता दी जाती है।

इसके अलावा आगन बाड़ी महिलाओं को विशिष्ट काम के लिए 5 हजार रुपये का ईनाम दिया जाता है। दहेज निषेध अधिनियम का पूरे राज्य में सख्ति से पालन किया जाता है। इसके लिए प्रत्येक जिले में दहेज निषेध अधिकारी की नियुक्ति की गयी है। शादियों का पंजीकरण पूरे राज्य में अनिवार्य कर दिया गया है।

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