लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बच चुका है। तिथिया घोषित हो चुकी हैं। 4 जून 2024 को केन्द्र में नई सरकार के गठन का रास्ता स्पष्ट हो जायेगा। लोकसभा और विधान सभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण करने वाला कानून पारित हो चुका है। परन्तु यह कानून 2029 से लागू होगा। इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए पक्ष एवं विपक्ष दोनों महिला वोटरों को लुभाने की प्रुजोर कोशिश कर रहें है। विगत कुछ चुनाव में महिलाओँ की हिस्सेदारी बढ़ी है और उन्होंने चुनाव नतीजों को काफी हद तक प्रभावित किया है। चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 1971 के आम चुनाव की तुलना में 2019 के चुनाव में महिलाओं का मत प्रतिशत 235.72 बढ़ा है। चुनाव आयोग के अनुसार महिला मतदाताओं की संख्या 2019 चुनाव में जहां करीब 43 करोड़ थी 2024 के चुनाव में इनकी संख्या 47 करोड़ तक पहुंचेगी। इसी कारण सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियां महिलाओँ के उत्थान के लिए कई घोषणाएं कर रहें हैं।
वह दिन लद गए जब महिलायें परिवार में अपने पुरुषों के द्वारा बताये गये पार्टी को वोट देते थे परन्तु अब यह दृश्य बदल चुका है। महिलायें स्वतंत्र रुप से वोट देने का निर्णय ले रहीं है। इसके मूल में महिलाओँ में शिक्षा का प्रसार और महिलाओँ की मजबूत आर्थिक स्थिति रहीं है।
विगत कुछ चुनावों में महिलायें एक वोट बैंक के रुप में उभरी हैं जो जाति सम्प्रदाय से अलग है और किसानों और मजदूरों की तरह से महिलाओं का मतदाता के रुप में एक नया समूह उभरकर आया है जिसको लुभाने के लिए पक्ष और विपक्ष दोनों प्रयासरत है। करीब 1.89 करोड़ नये मतदाता हैं 2024 के चुनाव के लिए योग्य हुए हैं जिनकी उम्र 18-19 वर्ष है। इसमें से 85.3 लाख महिला मतदाता है। चुनाव आयोग के अनुसार 12 राज्य ऐसे हैं जहां महिला मतदाओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से ज्यादा है क्योंकि इन राज्यों में लिंगानुपात एक हजार से ज्यादा है। इनमें उत्तर पूर्व के राज्य भी सम्मिलित हैं। इसका मतलब इन राज्यों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओँ से ज्यादा है।
2019 के लोकसभा चुनाव में महिला मतदाताओँ का प्रतिशत पुरुष मतदाताओं से ज्यादा रहा है। जहां महिला मतदाताओं का प्रतिशत 67.18 रहा है वहीं पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत 67.01 रहा है। इसी प्रकार लोकसभा में महिला सांसदो की संख्या में काफी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। 2019 के चुनाव में 78 महिला सांसद चुनाव जीती थी जो अपने आप में ही एक रिकॉर्ड है। यह भी एक तथ्य है कि दूसरे लोकसभा चुनाव में केवल 27 महिला सांसद का चुनाव जीती थी परन्तु उनका विजयी रहने का प्रतिशत 60 रहा था क्योंकि केवल 45 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था।
विभिन्न विधान सभा चुनावों में महिलाओँ की भागीदारी लोकसभा चुनाव से ज्यादा रही है। पिछले पांच साल में 23 प्रमुख राज्य विधानसभा के लिए चुनाव हुए जिनमें 18 विधानसभा चुनावों में महिलाओँ का मत प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहा। केरल, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी, गोवा, आन्ध्रप्रदेश के विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मत प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहा इसी प्रकार उत्तर पूर्व के राज्य मणिपुर, मेघालय एवं नागालैंड में भी महिलाओँ का मत प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा था। लोकसभा में महिलाओं की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत स्वतः पहुंची है लेकिन विधानसभाओँ में बहुत कम राज्यों में महिलाओँ की भागीदारी 14 प्रतिशत तक पहुंची है। वर्तमान में पश्चिम बंगाल ही एक ऐसा राज्य है जहां 14 प्रतिशत महिला विधायक है।
भारतीय राजनीति के इस बदलते परिदृश्य में महिलायें भारतीय राजनीति में केन्द्रीय भूमिका निभाने लग गयी हैं और भारतीय राजनिति को एक नई दिशा प्रदान कर रही है। इसी कारण महिलाओँ को रिझाने के लिए पक्ष एवं विपक्ष में जबरदस्त होड़ मची है।
भारतीय जनता पार्टी केन्द्र सरकार द्वारा पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम का पूरा श्रेय लेती है इसके तहत लोकसभा एवं विधान सभाओँ में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गयी है। यद्यपि यह कानून वर्ष 2029 से लागू होगा। इससे पहले केन्द्र सरकार ने मुस्लिम समुदाय में व्याप्त तीन तलाक के विरुद्ध भी कानून पास करवाया। उक्त महत्वपूर्ण निणयों के साथ साथ केन्द्र सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठायें है। जिसमेः-
भारतीय जनता पार्टी केन्द्र में सरकार होने के बावजुद भी अंतरिम बजट में महिलाओं के लिए कोई महत्वपूर्ण घोषणा नही कर पायी परन्तु उसने लखपति दीदी योजना के तहत वित्तीय सहायता दो करोड़ रुपयों से तीन करोड़ रुपये कर दिये। लखपति दीदी योजना के तहत महिलाओं को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। महिलाओं को आर्थिक रुप से मजबूत करने के लिए यह योजना शुरु की गयी है परन्तु इसमें एक शर्त यह है कि लाभार्थी महिला किसी न किसी महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी होनी चाहियें।
अभी हाल ही में सम्पन्न हुए मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव में लाडली बहिन योजना ने अहम भूमिका निभायी थी। भाजपा की केन्द्र सरकार ने उज्जवला योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त में रसोई गैस उपलब्ध करायी। इसके तहत सबसीडी पर उनकों गैस सिलंडर दिये जाते है। नये कनेक्शन लेने वाले परिवार को 1600 रुपयों की आर्थिक सहायता भी दी जाती है और सालभर में तीन गैस सिलेंडर मुफ्त प्रदान किये जाते है।
प्रधानमंत्री मात् बंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओँ और स्तनपान कराने वाली माताओं के बैंक या डाकघर खाते में 5000 रुपयें (तीन किस्तों में) दिये जाते है। केन्द्र सरकार ने 5,646 कस्तुरबा गांधी बालिका विद्यालय खोलने का निर्णय लिया है जिससे की गरीब लड़कियों को मुफ्त शिक्षा प्रदान किया जा सके। जनधन योजना, स्वच्छ भारत मिशन एवं जल जीवन मिशन योजनाएं भी केन्द्र सरकार के द्वारा चलायी जा रही है। उक्त सभी योजनायें महिलाओं को केन्द्र में रखकर बनायी गयी है। इससे महिलाओं के जीवन में काफी अच्छे प्रभाव देखने को मिले है। इसी प्रकार स्टार्टअप इंडिया, डिजिटलस स्किलिंग ऑफ वुमन एवं प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान भी केन्द्र सरकार के द्वारा शुरु की गयी है। इन योजनाओं का मुख्य ध्येय महिलाओं को स्वालंबीय बनाना है और उन्हें शिक्षित एवं नई तकनीक का इस्तेमाल करने योग्य बनाना है।
सीखो और कमाओँ, उस्ताद एवं नई मंजिल में महिलाओँ के लिए 30 प्रतिशत सीट आरक्षित की गयीं है। यह योजना अल्पसंख्यक महिलाओं को ध्यान में रखकर बनायी गयी है। अल्पसंख्यक महिलाओं का समर्थन प्राप्त करने के लिए भाजपा ने उत्तर प्रदेश में एक नया अभियान शुरु किया है। ‘‘ न दूरी है न खाई है मोदी हमारा भाई है ’’ और शुक्रीया मोदी भाईजान इस अभियान के मुख्य बिन्दु है।
इसके अलावा महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी केन्द्र सरकार के द्वारा कई कदम उठाए गए है। शक्ति सदन के तहत महिलाओं को कठिनाई के वक्त मदद प्रदान की जाती है और विभिन्न पुलिसथानों में महिलाओं की संख्या बढाई जा रही है और कुछ थानों में केवल महिला पुलिस ही तैनात की गयी है।
मुख्य विपक्षीय पार्टी कांग्रेस भी महिलाओं को लुभाने में पीछे नहीं है। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने महिलाओं के लिए 5 प्रमुख घोषणायें की है। महालक्ष्मी योजना के तहत गरीब परिवार में एक महिला को सालाना एक लाख रुपये दिये जायेंगे। केन्द्र सरकार की नई भर्तियों में 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किये जायेंगे। आशा, आगन बाड़ी और मिड डे मील बनाने वाली महिलाओँ के वेतन में केन्द्र सरकार का योगदान दोगुना किया जायेगा और महिलाओं को अधिकारों की जानकारी देने के लिए हर ग्राम पंचायत में एक अधिकार मैत्री की नियुक्ति की जायेगी। कामकाजी महिलओँ के लिए सावित्री बाई होस्टलों का निमार्ण किया जायेगा।
इससे पहले कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय घोषणा की थी कि प्रत्येक उस परिवार को रुपये 2000 प्रतिमाह देने की घोषणा की जिसकी मुखिया महिला हो और महिलाओं को पूरे राज्य में बस में मुफ्त यातायात की सुविधा भी प्रदान की गयी है। कर्नाटका में जीत के पीछे उक्त दोनों योजनाओं की अहम भूमिका रही है। इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के द्वारा 18 से 60 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जा रही है।
अन्य विपक्षीय पार्टियों में आप की दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की महिलाओँ के लिए मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना की घोषणा की है। इसके तहत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की 18 वर्ष से ज्यादा की महिला को प्रतिमाह 1000 रुपये दिये जायेंगे। समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में गरीब महिलाओँ के लिए समाजवादी पेंशन योजना की घोषणा की है जिसके तहत गरीब परिवार की महिलाओँ को 1500 रुपये प्रतिमाह आर्थिक सहायता दी जायेगी। पश्चिम बंगाल में त्रिनामूल कांग्रेस ने आशा और आगनवाड़ी महिला कार्यकर्ताओं के मानदेय में 750 रुपये प्रतिमाह बढ़ोतरी करने की घोषणआ की है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बेनर्जी ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की गरीब महिलाओं को 1000 रुपये प्रतिमाह एवं अन्य महिलाओं के लिए 500 रुपये प्रतिमाह आर्थिक मदद देने की घोषणा की है। उन्होंने यह कदन संदेशखाली की घटना से उपजे जन आक्रोश को कम करने के लिए उठाये है।
बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार, केन्द्र सरकार द्वारा पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम का श्रेय खुद लेते है और उनका मानना है कि उक्त अधिनियम के लिए माहौल, उनकी सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए उठाये गये कदमों ने तैयार किया। उन्होनें वर्ष 2005 से ही ग्राम पंचायत और शहरी निकायों में महिलाओँ के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दी थी और प्राइमरी शिक्षकों के पदो की भर्ती में भी उन्होंने 50 प्रतिशत सीटें महिलाओँ के लिए आरक्षित कर दी थी। नितीश सरकार द्वारा गरीब स्कूली क्षात्राओं को साईकिल मुफ्त में वितरित की गयी थी। यहीं नहीं, बिहार में महिलाओँ को सुरक्षा का माहौल प्रदान करने में भी नितीश सरकार की अहम भूमिका रही है। इस कारण बिहार में लोकसभा या विधानसभा चुनाव में नितीश की जेडीयू पार्टी को महिलाओँ का अच्छा समर्थन मिलता है।