मंडी की सकीना ठाकुर ने एमए इतिहास के बाद डेयरी उद्योग को चुना और विरोधों के बावजूद 14 गायों के साथ सफल व्यवसाय खड़ा किया. दिन में 112 लीटर दूध और हर महीने ₹1.25 लाख कमाई कर रही हैं. ग्रामीण महिलाओं को जोड़कर एक सहकारी समिति बनाई, जिससे गांव में रोज़गार और आय दोनों बढ़े।
परिस्थितियां चाहे कितनी भी विपरीत हों, कठिन परिश्रम व सच्ची लगन व्यक्ति को उसके लक्ष्य तक पहुंचा ही देती है। यह साबित किया है तुंगल क्षेत्र की युवा उद्यमी सकीना ठाकुर ने. इतिहास की छात्रा रही सकीना अपने जज़्बे एवं नवोन्मेषी प्रयासों से आज दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में एक नया इतिहास रच रही हैं।
कोटली उपमंडल के कून गांव में एक साधारण परिवार में जन्मीं सकीना ठाकुर की बचपन से ही उद्यमी सोच रही है. कोट के सरकारी स्कूल से शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे मंडी शहर में उच्च शिक्षा के लिए गईं. यहां राजकीय वल्लभ डिग्री कॉलेज से उन्होंने इतिहास विषय में एमए की उपाधि प्राप्त की. वे बताती हैं कि मंडी में घर पर जो दूध आता था, वह काफी पतला और निम्न गुणवत्ता का होता था।
सपनों और संघर्षों के बीच लिया अहम निर्णय
वहीं से उन्हें विचार आया कि वे किस तरह लोगों को उच्च गुणवत्ता का दूध उपलब्ध करवा सकती हैं। हालांकि जिम, मॉडलिंग और बॉक्सिंग में करियर बनाने के सपने भी मन में थे मगर परिवार सरकारी नौकरी के लिए दबाव डाल रहा था। इन तमाम विरोधाभासों के बीच सकीना ने कुछ समय स्वास्थ्य विभाग की परियोजना में सर्वेक्षणकर्ता के रूप में भी कार्य किया।
जमा पूंजी से की व्यवसाय की शुरुआत
वह बताती हैं कि इस नौकरी से संचित धन उन्होंने दुग्ध उत्पादन में निवेश करने का मन बना लिया। शुरुआत बेहद चुनौतीपूर्ण रही। घर-परिवार से लेकर गांव-चौबारे तक हर जगह सहयोग की अपेक्षा ताने ही अधिक मिले। एक शिक्षित लड़की कैसे गाय-गोबर का काम करेगी, इस तरह के उलाहने उन्हें परेशान तो करते थे मगर लक्ष्य पर केंद्रित रहकर सकीना ने इस सोच को गलत साबित किया
भरगांव की चिंता देवी से मिला हौसला
दुग्ध उत्पादन में आगे बढ़ने का हौसला उन्हें पड़ोसी गांव भरगांव की चिंता देवी से मिला। उन्होंने यूट्यूब से डेयरी क्षेत्र की जानकारी प्राप्त की. इसके बाद पंजाब में बठिंडा के समीप गुरविंदर डेयरी फार्म से होलस्टीन फ्रिजियन नस्ल की गाय खरीदी. यूरोपियन नस्ल की इन गायों के दूध में प्रोटीन और मक्खन भरपूर मात्रा में होता है। यह स्थानीय परिस्थतियों में अनुकूलनशीलता और उत्पादकता में बेहतर मानी जाती है।
कम पूंजी, बड़ा हौसला और सफल शुरुआत
डेयरी व्यवसाय के लिए पूंजी जुटाने के लिए सकीना ने कई माध्यम अपनाए. हाथ में मात्र सवा लाख रुपये की बचत थी मगर हौसला पहाड़ों से ऊंचा था। उन्होंने ग्रामीण बैंक से लगभग दो लाख रुपये का ऋण लिया और जुलाई 2024 में सकीना डेयरी फार्म की शुरुआत की। अब उन्हें मां रमा देवी और भाई-बहनों का साथ भी मिल गया है। प्रदेश सरकार द्वारा दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहन मिलने से भी सकीना जैसे युवा उद्यमियों को संबल मिला है।
स्थानीय समिति से जुड़कर मिली रफ्तार सकीना बताती हैं कि नवंबर 2024 में उनके गांव में द कून महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति का कार्यालय खुला। यहां हिमाचल प्रदेश राज्य दुग्ध उत्पादक संघ की ओर से तमाम सुविधाएं एवं उपकरण उपलब्ध करवाए गए। यहां दो क्विंटल क्षमता का बल्क मिल्क कूलर, एसएनएफ एनालाइजर, अल्ट्रासोनिक स्टारर और कम्प्यूटर स्थापित किए गए हैं। सकीना यहां दुग्ध प्राप्ति का कार्य देख रही हैं।
112 लीटर दूध और हर महीने सवा लाख की कमाई
वर्तमान में सकीना अपने फार्म से प्रतिदिन लगभग 112 लीटर दूध प्राप्त कर रही हैं। उनके फार्म में होलस्टीन फ्रिजियन नस्ल की 14 गाएं हैं। उन्होंने लगभग साढ़े चार लाख रुपये की लागत से एक आधुनिक शेड का निर्माण किया है। पशु चारा स्थानीय स्तर पर और पंजाब से भी मंगवाया जा रहा है। मिल्किंग मशीन और चारा कटर पर लगभग 50 हजार रुपये निवेश किए हैं। गोबर खाद के रूप में उपयोग किया जा रहा है। फार्म में एक व्यक्ति को रोजगार भी दिया गया है। सकीना बताती हैं कि उन्हें प्रतिमाह लगभग सवा लाख रुपये की आय हो रही है।
70 परिवारों से जुड़कर सहकारी समिति की आय दो लाख पहुंची
उनकी सोसायटी से कून के अलावा कोट, लंबीधार, द्रुब्बल, त्रैहड़ और माहन सहित लगभग 70 परिवार जुड़ चुके हैं. इन सबके साथ मिलकर सहकारी समिति की मासिक आय दो लाख रुपये तक पहुंच चुकी है।