जेन ऑस्टिन (1775-1817): सामाजिक टिप्पणीकार
जेन ऑस्टिन के समय में महिलाओं के लिए कई सीमायें थी और इन सीमाओं का उल्लघन समाज में स्वीकार नहीं था। जेन ऑस्टिन ने अपने स्तर पर इन बंदिशों की परवाह नहीं की और वह स्थापित मापदंडों के विरुद्ध एक परिवर्तनकारी आवाज बन कर उभरी। उन्होंने तत्कालीन ब्रितानिया समाज की जटिल समस्याओं को उजागर किया और उस समाज में महिलाओँ के लिए सीमित सम्भावनाओं के बारे में आवाज उठायी। इसी कारण उनके द्वारा लिखित उपन्यास ‘प्राइड एंड प्रेजुडिस’ और ‘सेंस एंड सेंसिबिलिटी’ कालजयी श्रेणी में आते है।
मैरी शेली (1797-1851) वैज्ञानिक कहानियों की जनक मानी जाती है। महज बीस साल की उम्र में ही उनके द्वारा रचित फ्रेंकस्टीनः या ‘द माडर्न प्रोमेथियस’ प्रथम वैज्ञानिक कथा उपन्यास के रुप में छा गयी। उनकी विज्ञान के प्रति लगन अभूतपूर्व थी। तत्कालीन समाज औद्योगिक क्रांति की उथल-पुथल से गुजर रहा था। समाज में स्थापित मापदंड ध्वस्त हो रहे थे और नये विचार नयी मान्यतायें आकार ले रही थी। उनकी कहानियां से यह साबित होता है कि महिलायें मात्र रोमांस पर ही नहीं लिख सकती है। उन्होंने विज्ञान पर लिख कर इस मान्यता को जोरदार धक्का दिया।
वर्जीनिया वुल्फ (1882-1941) नयी चेतना की सूत्रधारः अपनी साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से वर्जीनिया वुल्फ ने साहित्य में नारीवाद की शुरुआत की। अपने समय की कहानियों से अलम उन्होंने आत्म विश्लेषणात्मक विधि अपनायी जबकि उस समय के साहित्यकार सीधे सरल अंदाज में लिख रहे थे। उनकों प्रसिद्ध रचनायेः ‘श्रीमती’ और ‘टू द लाइट हाउस’ साहित्य जगत में परिवर्तन की सूचक थी, जहां ‘श्रीमती’ साहित्य में नये परिवर्तन की सूत्रधार थी वहीं ‘टू द लाइट हाउस’ मानसिक उलझनों को उजागर करती है।
ज़ोरा नीले हसर्टन (1891-1960) पुर्नजागरण की गूंजः हसर्टन की ‘देर आइज़ वेयर वाचिंग गॉड’, अफ्रीकी अमेरिकी साहित्य की आधारशिला है। उनका उपन्यास रंगभेद, स्वतंत्रता और नारीत्व की दमदार आवाज़ है। अपनी विशिष्ट रचनाशैली से उन्होंने पुर्न जागरण को मजबूत आवाज दी। यह आवाज अमेरिका में अश्वेत लोगों का दर्द, आकांक्षाओं एवं अनुभव को परिभाषित करता है।
टोनी मॉरिसन (1931-2019) नोबल पुरस्कार विजेता टोनी मॉरिसन की रचनायें अमेरिका में अश्र्वेत पहचान का सशक्त दस्तावेज है। ‘बिलव्ड सॉन्ग ऑफ सोलोमन’ और ‘द ब्लूएस्ट आई’ की विषयवस्तु नस्लीय भेदभाव पहचान की दरकार और गुलाम जीवन की वह त्रासदी पर प्रकाश डालती हैं। अपनी रचनाशैली और खुबसूरत चित्रण की वजह से वह प्रभावशाली लेखकों की श्रेणी में महत्वपूर्ण नाम है। उनकी ‘द ब्लूएस्ट आई’ ने तत्कालीन साहीत्य की सीमायें लांघ कर आने वाली पीढ़ियों के लिए नये प्रतिमान गढ़े।
इसाबेल अलेंदे (1942-वर्तमान) चिली अमेरिकी लेखिका इसाबेल अलेंदे इतिहास, राजनीति और यथार्थवाद के घोल से लवरेज है। उनका पहला उपन्यास ‘द हाउस ऑफ द स्पिरिट्स’, चिली की राजनीतिक उठा-पटक पर आधारित है। उनकी कहानी में जुनून स्पष्ट झलकता है और अलौकिक तत्वों की उनकी रचनाओं में भरमार रहती है और उनकी रचनायें यथार्थवाद शैली को स्त्री परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है।
अरुंधति रॉय(1977-वर्तमान) अरुंधति रॉय को पूर्व की आवाज़ के रुप में जाना जाता है। भारतीय लेखिका अरुंधति रॉय की ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ प्रेम, जाति और विश्वासघात की मार्मिक कहानी है। उनका उपन्यास केरल के सुन्दर प्राकृतिक चित्रों के साथ-साथ भारतीय समाज में व्याप्त जातिगत रुढ़ियाँ को उजागर करती है। इसके अलावा, भारतीय राजनीति एवं समाज पर उनके लेख उन्हें समकालीन साहित्य और समाज की दमदार आवाज बनाती हैं।
चिम्मांडा न्गोज़ी अदिची (1977-वर्तमान) उनकी प्रमुख रचनायें ‘हाफ ऑफ ए येलो सन’ और ‘अमेरिकन’ है। ये रचनायें औपनिवेशिक काल के बाद की अफ्रीकी पहचान का दमदार चित्रण करती है। उनके पात्र अक्सर पश्चिमी एवं अफ्रीकी संस्कृतियों के बीच विचरण करते हैं और पाठकों को नस्लवाद, आप्रवासन एवं महिलाओं की स्थिति के बारे में बताती है। उनका ‘रेड रॉक’ एवं ‘वी शुड ऑल बी फ्रैमिनिस्ट’ उन्हैं वैश्विक साहित्यकार के रुप में स्थापित करती है।
साहित्य की दुनिया को सशक्त, बहुआयामी और विविध बनाने में महिला रचनाकारों की भी अहम भूमिका रही है। महिला रचनाकारों ने स्थापित मापदंडों को चुनौती दी और नयी शैलियों को परिभाषित किया। उनकी लेखन शैली उनके लेखों की विविधता और साहित्य में नयी शैली को बढ़ावा देना आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगीं। महिला रचनाकारों का सम्मान समस्त महिला समाज का सम्मान है।