बहुत पुरानी बात है, एक विशाल और घने जंगल का ज़िक्र है। एक दिन इस जंगल में विकराल आग भड़क उठी। इस आग से भयभीत होकर सभी जानवर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।
इस भगदड़ में, जंगल की एक छोटी चिड़िया भी थी। उसने देखा कि सभी जानवर आतंकित हैं और उसने सोचा कि उसे जंगल में फैली इस आग को बुझाने में मदद करनी चाहिए।
इस विचार के साथ, नन्हीं चिड़िया एक नदी के पास पहुंची और अपनी छोटी सी चोंच में नदी का पानी भरकर आग बुझाने की कोशिश करने लगी। यह देख एक उल्लू सोचने लगा कि यह चिड़िया कितनी मूर्ख है, इतनी भयानक आग उसके लाए थोड़े से पानी से कैसे बुझेगी।
उल्लू ने चिड़िया के पास जाकर कहा कि वह बेकार में मेहनत कर रही है, उसके लाए पानी से यह विशाल आग कैसे बुझेगी। इस पर चिड़िया ने विनम्रता से उत्तर दिया कि उसे बस अपना प्रयास जारी रखना है, चाहे आग कितनी भी भयंकर क्यों न हो।
इसे सुनकर उल्लू बहुत प्रभावित हुआ और चिड़िया के साथ मिलकर आग बुझाने में जुट गया।
कहानी से सीख: इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कोई भी मुसीबत कितनी भी बड़ी क्यों न हो, हमें हमेशा अपना प्रयास जारी रखना चाहिए।
