शोवना नारायण की कहानी, जिसने कथक को दुनिया भर में पहुंचाया
कभी सोचा है कि डांस एक भाषा हो सकता है? वो भी ऐसी भाषा जो बिन शब्दों के दिल को छू ले और कहानी कह दे! शोवना नारायण, भारत की मशहूर कथक डांसर और कोरियोग्राफर ऐसी ही कलाकार हैं, जिन्होंने ना सिर्फ कथक में महारत हासिल की बल्कि इसे दुनिया भर में पहचान दिलाई.
आइए जानते हैं शोवना नारायण के बारे में, उनकी डांस जर्नी के बारे में और कैसे उन्होंने कथक को एक नया आयाम दिया.
कथक की धुन बचपन से ही:
शोवना का जन्म कोलकाता में हुआ था. बचपन से ही उन्हें डांस का बहुत शौक था. मात्र तीन साल की उम्र से ही उन्होंने अपनी मां, हेमा मालिनी मजूमदार के मार्गदर्शन में कथक सीखना शुरू कर दिया. हेमा मालिनी मजूमदार खुद एक प्रसिद्ध कथक गुरु थीं, जिन्होंने शोवना को ना सिर्फ डांस के कदम सिखाए बल्कि कथक की गहराई और भाव को भी समझाया.
अभ्यास और लगन का फल मीठा होता है:
शोवना बचपन से ही डांस के प्रति समर्पित रहीं. रोज़ाना कठिन अभ्यास करती थीं. गुरु के बताए हर एक भाव को बारीकी से समझने की कोशिश करती थीं. उनकी लगन और मेहनत रंग लाई. शोवना कम उम्र में ही एक शानदार कथक डांसर बनकर उभरीं.
परंपरा का सम्मान, प्रयोगों की आजादी:
शोवना नारायण को कथक की परंपरा का बहुत सम्मान है. उन्होंने हमेशा इस बात का ध्यान रखा है कि कथक की शुद्धता बनी रहे. लेकिन साथ ही वो प्रयोग करने से भी नहीं हिचकिचातीं. उन्होंने कथक में नए विषयों को शामिल किया, कथक को थोड़ा और आधुनिक बनाया. उन्होंने कथक को सिर्फ स्टेज तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि इसे फिल्मों और टेलीविजन में भी जगह दिलाई.
शोवना नारायण की उपलब्धियां:
शोवना नारायण को उनके असाधारण डांस के लिए कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है. उन्हें पद्म भूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार सहित कई बड़े पुरस्कार मिले हैं. उन्होंने दुनिया भर में वर्कशॉप्स और परफॉर्मेंस दी हैं. शोवना नारायण की वजह से आज कथक को दुनिया भर में पहचान मिली है.
कथक का भविष्य उज्जवल:
आज शोवना नारायण न सिर्फ एक डांसर हैं बल्कि कथक की एक संस्था हैं. वह कथक को आने वाली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए भी निरंतर प्रयासरत हैं. उन्होंने अपनी अकादमी “शोवना नारायण कंपनी” के जरिए कई युवा कलाकारों को प्रशिक्षित किया है.
तो ये थी शोवना नारायण की कहानी, जिसने कथक को सिर्फ एक डांस फॉर्म नहीं बनाया बल्कि इसे एक कलात्मक अभिव्यक्ति का रूप दिया. शोवना नारायण ने ना सिर्फ खुद को बल्कि कथक को भी दुनिया भर में एक अलग पहचान दिलाई.