महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव की कमल कुम्भार ने अपनी लगन एवं मेहनत से इस क्षेत्र के ग्रामीण परिवेश की दशा और दिशा बदल दी। इस गांव में एक पुरानी परम्परा थी, जिसका पालन अक्षरथः किया जाता था। महज 17 वर्ष की उम्र तक पहुंचते ही लड़कियों की शादी कर दी जाती थी। कमल के हाथ भी महज 17 साल की उम्र में पीले कर दिये थे परन्तु यह प्रकरण उनके बुलंद हौसलो पर लगाम नहीं लगा सकी। उनका ध्येय अपनी माली हालत ठीक करना था, साथ ही वह अपने इर्द-गिर्द के लोगो की भी हालत सुधारना चाहती थी।
वर्ष 2001 में कमल कुंभार की जिंदगी में एक नया मोड़ आया, जब उन्होंने पुणे स्थित गैर सरकारी संगठन स्वयं शिक्षा प्रयोग में भाग लिया। यह संगठन कृषि से लेकर स्वास्थ्य तक के क्षेत्रो में महिलाओं में अद्यामिता को बढ़ावा देता है। इस संगठन के मार्ग दर्शन में कमल ने उद्यमिता के क्षेत्र में प्रवेश किया, यहां से उनकी जिंदगी का नया अध्याय शुरु होता है। महज 10 रुपये की पूंजी से उन्होंने चूड़ी बनाने का काम शुरु किया, शीघ्र ही वह अस्मानाबाद के चूड़ी बाजार में एक जाना पहचाना चेहरा बन गयी।
साथ-साथ में उन्होंने अन्य क्षेत्रों में भी अपने हाथ आजमाने शुरु कर दिये। साड़ी, स्टेशनरी और लाइट बल्ब बेचने का काम भी उन्होंने शुरु कर दिया। इसके बाद उन्होने मैस चलाने के क्षेत्र में भी पदार्पण किया। साथ ही उन्होंने घर-घर जाकर अपना उत्पाद बेचना भी शुरु किया और इस दौरान अन्य महिलाओं को भी अपना काम शुरु करने के लिए प्रोत्साहित किया।
अपने शुरुआती व्यवसाय में सफलता ने उन्हें अन्य क्षेत्रों में कदम रखने के लिए प्रोत्साहित किया। वर्ष 2015 में उन्होंने मुर्गी पालन के क्षेत्र में कदम बढ़ाये और कमल पोल्ट्री और एकता सखी प्रोड्यूशर की नीव रखी, ये दोनो उद्यम उनके क्षेत्र की हजारों महिलाओँ को रोजगार देती हैं।
अपने प्रयासो से वह महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता की वाहक बन गयी। उन्होंने स्थानीय महिलाओं के लिए कार्यशालायें आयोजित की और इनके माध्यम से स्थानीय महिलाओं ने ऋण प्राप्त करने के तौर-तरीके सीखे और सरकारी योजनाओँ का लाभ उठाने की बारीकियां सीखी।
अभी तक कमल के मार्ग दर्शन में पूरे महाराष्ट्र में 5,000 से अधिक महिला उद्यमियों की फौज तैयार हो गयी है। इन महिला उद्यमियों ने राज्य के उद्यमशीलता परिदृश्य को नयी तरह से परिभाषित कर दिया है।
उनकी दूरदर्शी सोच ने लगभग 3000 घरों को बिजली की समस्या से निजात दिलाया। उन्होंने लोगों को सौर ऊर्जा को अपनाने के लिए प्रेरित किया, जिससे कि वे लोग अनियमित बिजली आपूर्ति से छुटकारा पा सकें। सौर ऊर्जा उन लोगो के जीवन में गुणात्मक बदलाव लेकर आया और स्कूली बच्चों की पढ़ाई में सहायता मिली। धीरे-धीरे कमल की ख्याति अपने क्षेत्र की सीमायें लांघ गयी। राज्य स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक उनके प्रयास को सराहा गया। उन्हें ‘वुमन एक्जेस्पलर’ अवार्ड एवं ‘नारी शक्ति’ अवार्ड से नवाजा गया। ये सम्मान भारतीय समाज में महिला उद्यमिता के महत्व को उजागर करते हैं।
कमल का ध्यान अब महिलाओं के उज्जवल एवं सशक्त भविष्य पर केन्द्रित है। वह उद्यमी महिलाओं के लिए एक प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करना चाहती हैं। जिससे कि वर्ष 2025 तक 10,000 महिला उचमियों को प्रशिक्षण दिया जा सके।