Gauri Puja 2024: Tithi, Samay, Puja Vidhi, Mahatva aur Jaanne Yogya Sabhi Jankari
गौरी पूजा, जिसे गणेश पूजा से पहले किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है, हिंदू धर्म में शुभता और सौभाग्य का प्रतीक है। इस वर्ष गौरी पूजा 11 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी।
गौरी पूजा तिथि और समय:
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तिथि: चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, सप्तमी (Saptami)
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दिन: बुधवार (Wednesday)
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प्रारंभ समय: सूर्योदय के बाद (After Sunrise)
गौरी पूजा का महत्व:
गौरी पूजा को भगवान शिव की पत्नी, माता पार्वती के एक रूप – शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि गौरी पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और गणेश पूजा के शुभ कार्य को सुचारू रूप से संपन्न करने का आशीर्वाद मिलता है। गौरी पूजा गणेश चतुर्थी से पहले की जाती है, क्योंकि भगवान गणेश को अपने माता-पिता की उपस्थिति में पूजा सबसे ज्यादा प्रिय होती है।
गौरी पूजा विधि:
गौरी पूजा एक सरल अनुष्ठान है, जिसे घर पर आसानी से किया जा सकता है। यहां गौरी पूजा करने की विधि बताई गई है:
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पूजा की तैयारी: सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्धीकरण करें।
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आसन और कलश स्थापना: पूजा स्थल पर आसन बिछाएं और उस पर चौकोर आकार का मंडप बनाएं। मंडप के मध्य में एक कलश स्थापित करें और उसमें जल भरें। कलश के ऊपर आम या मौसम के अनुसार कोई भी पत्ते रखें और उस पर नारियल रख दें। कलश को कलावा से सजाएं।
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गौरी माता की स्थापना: कलश के सामने एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। इस लाल कपड़े पर गौरी माता की तस्वीर स्थापित करें।
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आवाहन और स्नान: गौरी माता का ध्यान करें और उनका आवाहन करें। इसके बाद गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से गौरी माता का पंचामृत स्नान कराएं।
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अर्चन और वस्त्र: गौरी माता को वस्त्र, सिंदूर, हल्दी, मौली, चूड़ियां, चुनरी आदि अर्पित करें। इसके बाद धूप, दीप और आरती करें।
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फल और मिठाई का भोग: गौरी माता को उनका प्रिय भोग जैसे कि फल और मिठाई चढ़ाएं।
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मंत्र जाप: आप गौरी पूजा के लिए किसी भी विशेष मंत्र का जाप कर सकते हैं। हालांकि, “ॐ गौरी पार्वत्यै नमः” मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
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पूजा की पूर्णाहुति: अंत में गौरी माता की आरती करें और पूजा की पूर्णाहुति दें। बाद में प्रसाद वितरण करें।
गौरी पूजा की सामग्री:
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चौकी
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लाल कपड़ा
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गौरी माता की तस्वीर
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कलश
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आम या मौसमी के पत्ते
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नारियल
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कलावा
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गंगाजल
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दूध
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दही
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शहद
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घी
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वस्त्र
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सिंदूर
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हल्दी
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मौली
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चूड़ियां
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चुनरी
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धूप
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दीप
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फल
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मिठाई
गौरी पूजा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें (Things to Keep in Mind During Gauri Puja):
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गौरी पूजा आमतौर पर सुबह के समय सूर्योदय के बाद की जाती है।
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पूजा करने वाले को साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए।
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पूजा की सामग्री को पहले से ही इकट्ठा कर लेनी चाहिए।
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पूजा विधि का यथासंभव सख्ती से पालन करें।
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पूजा के दौरान सकारात्मक और शांत मन रखें।
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यदि आप पहली बार गौरी पूजा कर रहे हैं, तो आप किसी अनुभवी व्यक्ति या पुजारी से सलाह ले सकते हैं।
गौरी पूजा का प्रसाद (Gauri Puja Prasad):
गौरी पूजा में माता गौरी को मीठा भोग काफी पसंद होता है। आप उन्हें उनकी पसंद का प्रसाद चढ़ा सकते हैं, जैसे कि:
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मोदक
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शंकरपाली
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लड्डू
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हलवा
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खीर
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ताजे फल
पूजा के बाद भोग का परिवार के सभी सदस्यों और प्रियजनों में वितरण करें।
गौरी पूजा का उपवास (Gauri Puja Vrat):
कुछ महिलाएं गौरी पूजा के दिन निर्जला या फलाहार का व्रत रखती हैं। व्रत का संकल्प पूजा से पहले लिया जाता है और पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है।
गौरी पूजा का क्षेत्रीय महत्व (Regional Significance of Gauri Puja):
गौरी पूजा महाराष्ट्र में विशेष रूप से लोकप्रिय है। इसे यहां “ज्येष्ठा गौरी पूजा” के नाम से जाना जाता है। इस दिन महाराष्ट्र में विवाहित महिलाएं सुबह जल्दी उठकर नदी या तालाब में स्नान करती हैं और फिर गौरी माता की पूजा करती हैं। इसके बाद वे गौरी माता की मूर्ति को सजाकर जुलूस निकालती हैं और अंत में विसर्जन करती हैं।
गौरी पूजा एक सरल परंपरा है जो घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और गणेश पूजा के शुभ कार्य को सफल बनाने का आशीर्वाद प्राप्त करती है। इस लेख में बताई गई विधि का पालन करके आप घर पर ही गौरी पूजा को विधिपूर्वक संपन्न कर सकते हैं। शुभ गौरी पूजा!