🙏 द्वादशी का महापुण्य और धनु संक्रांति का आरंभ
प्रत्येक तिथि और वार का अपना विशेष महत्व होता है, और 16 दिसंबर 2025 का दिन ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन पौष माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है, जो भगवान विष्णु और उनके वामन अवतार को समर्पित मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, द्वादशी का व्रत और पूजन एकादशी के समान ही पुण्य फलदायी होता है, जिससे साधकों को जीवन में सुख-समृद्धि और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हालांकि, इस दिन का सबसे बड़ा ज्योतिषीय घटनाक्रम है धनु संक्रांति।
🏹 धनु संक्रांति: सूर्य का धनु राशि में प्रवेश
आज के दिन (16 दिसंबर 2025) सूर्य देव अपना राशि परिवर्तन करते हुए वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में गोचर करेंगे। सूर्य के इस प्रवेश को ही धनु संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
संक्रांति वह समय होता है जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। धनु, बृहस्पति (गुरु) की राशि है। इस गोचर के साथ ही एक महीने की अवधि के लिए खरमास (या मलमास) की शुरुआत हो जाती है।
🚫 खरमास: शुभ कार्यों पर एक माह का विराम
खरमास की अवधि एक महीने तक चलती है, और इस दौरान सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।
क्यों वर्जित हैं मांगलिक कार्य?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य देव बृहस्पति (गुरु) की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं, तो उनकी गति और प्रभाव मंद पड़ जाता है। सूर्य को आत्मा, ऊर्जा और शुभता का कारक माना जाता है, जबकि बृहस्पति शुभ कार्यों के कारक हैं। जब सूर्य धनु राशि में होते हैं, तो बृहस्पति के प्रभाव में सूर्य की गति धीमी हो जाती है। इस धीमी चाल और मंद प्रभाव के कारण:
- विवाह: विवाह के लिए सूर्य और बृहस्पति दोनों का बलवान होना अनिवार्य है, जो खरमास में नहीं होता।
- मुंडन: बच्चे के स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए शुभ मुहूर्त आवश्यक है।
- गृह प्रवेश: नए घर में स्थायित्व और समृद्धि के लिए उचित सूर्य बल जरूरी है।
अतः, अगले एक माह के लिए ये सभी मांगलिक कार्य, जिनमें स्थायित्व और वृद्धि की कामना की जाती है, रोक दिए जाते हैं।
🗓️ आज का पंचांग: 16 दिसंबर 2025, मंगलवार
| विवरण | तिथि / नक्षत्र / योग | समय सीमा |
| तिथि | पौष कृष्ण द्वादशी | रात 11 बजकर 57 मिनट तक |
| दिन | मंगलवार | |
| नक्षत्र | स्वाति | |
| योग | अतिगंड | |
| करण | कौलव | |
| सूर्य गोचर | धनु संक्रांति (धनु राशि में) |
🌅 सूर्य और चंद्रमा का समय
| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 07 बजकर 07 मिनट पर |
| सूर्यास्त | शाम 05 बजकर 27 मिनट पर |
| चंद्रोदय | रात 03 बजकर 45 मिनट पर (अगले दिन) |
| चंद्रास्त | दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर (अगले दिन) |
✨ आज के शुभ मुहूर्त और वर्जित काल
द्वादशी तिथि और संक्रांति के उपलक्ष्य में, सूर्य पूजन और दान के लिए कुछ विशेष समय अत्यंत शुभ हैं:
| मुहूर्त का नाम | समय (शुभ कार्य हेतु) |
| ब्रह्म मुहूर्त (सूर्य पूजन का शुभ समय) | सुबह 05 बजकर 18 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक |
| अभिजीत मुहूर्त (सर्वोत्तम) | दोपहर 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 02 बजकर 00 मिनट से 02 बजकर 41 मिनट तक |
| गोधूलि मुहूर्त | शाम 05 बजकर 24 मिनट से 05 बजकर 51 मिनट तक |
⚠️ अशुभ मुहूर्त (राहु काल से बचें)
| मुहूर्त का नाम | समय (कार्य वर्जित) |
| राहु काल | दोपहर 02 बजकर 52 मिनट से 04 बजकर 09 मिनट तक |
| यमगंड | सुबह 09 बजकर 43 मिनट से 11 बजकर 00 मिनट तक |
| गुलिक काल | दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 01 बजकर 34 मिनट तक |
🔑 द्वादशी और धनु संक्रांति के विशेष उपाय
द्वादशी का पुण्य और धनु संक्रांति का प्रभाव एक साथ होने के कारण, यह दिन विशेष धार्मिक और आर्थिक कष्टों को दूर करने के लिए उत्तम माना जाता है।
- भगवान विष्णु का पूजन: सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें तुलसी दल अर्पित करें। द्वादशी तिथि भगवान को अत्यंत प्रिय है, जिससे सुख-समृद्धि और मोक्ष का मार्ग खुलता है।
- सूर्य और पितरों को प्रसन्न करें: धनु संक्रांति पर सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल अर्पित करना अनिवार्य है। लोटे के जल में लाल चंदन मिलाकर अर्घ्य देने से नौकरी और व्यापार में तरक्की मिलती है और पितृ दोष शांत होता है।
- दान का महत्व: खरमास की शुरुआत दान-पुण्य से होनी चाहिए। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, या तिल का दान करने से सूर्य देव और पितर दोनों प्रसन्न होते हैं, जिससे जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
- पवित्र स्नान: संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है। यदि नदी संभव न हो, तो घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
धनु संक्रांति के साथ ही भले ही मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता हो, लेकिन यह अवधि तपस्या, दान, ध्यान और ईश्वर की भक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस पूरे माह आत्मिक उन्नति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
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