उत्तराखंड चुनावः भाजपा- कांग्रेस में जद्दोजहद जारी

उत्तराखंड चुनावः भाजपा- कांग्रेस में जद्दोजहद जारी

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उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की तैयारीयां ज़ोर शोर से चल रहीं हैं। इस राज्य में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस के बीच है। जहां भारतीय जनता पार्टी डबल ईंजन की सरकार के फायदे गिना रही है और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की और उत्तराखंड की श्री धामी जी की सरकार के द्वारा राज्य में विकास के कार्यो का हवाला दे रहें हैं तो कांग्रेस पार्टी का ज़ोर बेरोजगारी, महंगाई और महिलाओं पर अत्याचार सहित कई मुद्दो पर है। उत्तराखंड राज्य विधान सभा के लिए 2022 में हुए चुनाव में महिलाओं का मत प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहा है। इस चुनाव में महिलाओं का मत प्रतिशत 67.20 रहा जबकि पुरुषो का मत प्रतिशत 62.60 रहा। कुल मतदान प्रतिशत 65.37 प्रतिशत रहा इस समय उत्तराखंड के कुल मतदाता 83 लाख है। इनमे से 39.4 लाख महिला मतदाता और 42.5 लाख पुरुष मतदाता है। 93.699 सर्विस मतदाता है। 19 अप्रैल को यहां मतदान होने जा रहा है। विशेष बात यह है कि 18 और 19 साल के मतदाताओँ की संख्या 129062 है जो पहली बार मतदान में भाग लेंगे और 30 से 39 वर्ष के बीच मतदाताओँ की संख्या 2244000 है, जो इस मतदान में निर्णनायक भूमिका निभायेंगे।

उत्तराखंड राज्य में पहाड़ और मैदानी क्षेत्रों के मतदान पैटर्न में काफी भिन्नताएं है। जहां पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा है, परन्तु मैदानी क्षेत्रों में महिलाओं का मत प्रतिशत पहाड़ी क्षेत्रो की तुलना में कम है। 2022 के चुनाव में पहाड़ी जिलों में औसतन 28202 महिलाओं ने तथा 23086 पुरुषों ने मतदान किया। इस प्रकार एक विधान सभा क्षेत्र में 5116 महिलाओं ने पुरुषो से अधिक संख्या में मतदान किया। बागेश्र्वर, रुद्रप्रयाग और द्वाराहार्ट विधानसभा क्षेत्रों में क्रमशः 9802, 9517 और 9043 महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया। कुछ मैदानी विधान सभा क्षेत्र जैसे डोईवाला, ॠषिकेश, कालाढूंगी और खटीमा में भी महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से 2917 ज्यादा थी। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाएं प्रत्येक परिवार की धूरी होती है और पहाड़ी क्षेत्र की अर्थव्यव्सथा उनहीं के सहारे चलती है परन्तु राजनैतिक क्षेत्र में उनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है। उत्तराखंड की पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। परन्तु इस व्यवस्था को धता बताकर पुरुषों ने इस पर भी अपना कब्जा जमा रखा है और वे प्रधान पति के तौर पर काम करते है और महिलाओं को इस जिम्मेदारी से दूर रखते है। इस राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या 48.12 है परन्तु 2022 के विधान सभा के चुनाव में मात्र 45 महिलायें ही चुनाव क्षेत्र में थी जबकि कुल 632 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे। इस प्रकार महिला उम्मीदवार का प्रतिशत मात्र 14 था। यही हाल 2024 के लोक सभा चुनाव में भी है। भारतीय जनता पार्टी ने टेहरी गढ़वाल से एक महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है जबकि प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने किसी भी महिला को लोक सभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया है।

यह हाल तब है जबकि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठाने का वायदा किया है। सरकारी नौकरियों में महिलाओँ के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण, गरीब महिलाओं को 1 लाख रुपये प्रतिवर्ष आर्थिक सहायता तथा आशा एवं आगनवाड़ी में कार्यरत महिलाओं के वेतन में बढ़ोत्तरी आदि प्रमुख है। उत्तराखंड से किसी महिला को उम्मीदवार नही बनाने के बारे में राज्य महिला प्रमुख सुश्री ज्योति रौतेला ने कहा कि महिलाओं को उम्मीदवार बनाया जाना चाहिएं था परन्तु उनकी पार्टी ने उन उम्मीदवारों पर भरोसा जताया जो भाजपा को चुनाव में हरा सकते है। इसकी वजह से किसी महिला को उम्मीदवार नही बनाया जा सका। उन्होंने यह भी कहा कि केवल चुनाव के समय महिलाओं की बात करने से कुछ नहीं होगा जबकि राज्य में महिलाओं पर अत्याचार लगातार बढ़ रहें है और उन्हें डर के साये में जीना पड़ता है।

भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व एवं राज्य के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा राज्य में महिला सशक्तिकरण के लिए उठाए गए कदमों के बल पर चुनाव जीतने के प्रति आश्वश्त है। भारतीय जनता पार्टी केन्द्र सरकार द्वारा पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम का पूरा श्रेय लेती है इसके तहत लोकसभा एवं विधान सभाओँ में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गयी है। यद्यपि यह कानून वर्ष 2029 से लागू होगा। इससे पहले केन्द्र सरकार ने मुस्लिम समुदाय में व्याप्त तीन तलाक के विरुद्ध भी कानून पास करवाया। उक्त महत्वपूर्ण निणयों के साथ साथ केन्द्र सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई कदम उठायें है।

भाजपा ने लखपति दीदी योजना के तहत वित्तीय सहायता दो करोड़ रुपयों से तीन करोड़ रुपये कर दिये। लखपति दीदी योजना के तहत महिलाओं को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। महिलाओं को आर्थिक रुप से मजबूत करने के लिए यह योजना शुरु की गयी है परन्तु इसमें एक शर्त यह है कि लाभार्थी महिला किसी न किसी महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी होनी चाहियें। भाजपा की केन्द्र सरकार ने उज्जवला योजना के तहत गरीब परिवारों को मुफ्त में रसोई गैस उपलब्ध करायी। इसके तहत सबसीडी पर उनकों गैस सिलंडर दिये जाते है। नये कनेक्शन लेने वाले परिवार को 1600 रुपयों की आर्थिक सहायता भी दी जाती है और सालभर में तीन गैस सिलेंडर मुफ्त प्रदान किये जाते है। गरीब महिलाओं को शुद्ध जल उप्लब्ध करवाना एवं उनके लिए आवास बनाने आदि कई योजनाएं महिलाओं के उत्थान के लिए चलायी जा रही है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां समान नागरिक संहिता लागू है इससे राज्य में बिगड़ रहे जनसांख्यिकीय अनुपात को रोका जा सकेगा। इसकी वजह से भाजपा को राज्य में अभूतपूर्व सहयोग मिलने की आशा है। श्री धामी जी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने महिलाओं के सर्वागींण विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गये हैं। राज्य में पहली बार महिलाओँ को समप्ति में अधिकार प्रदान करने के लिए राज्य महिला आयोग के द्वारा एक मसौदा तैयार किया गया है इसके तहत महिलाओं को समप्ति में अधिकार एवं अन्य कई महत्वपूर्ण योजनाएं समाहित है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत का क्षैतीज आरक्षण दिया है। यह आरक्षण सरकारी नौकरियों के साथ साथ सरकार द्वारा समर्थित विभिन्न संगठनों एवं स्वायत संस्थानों में भी लागू होगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री धामी जी ने महिला सशक्तिकरण योजना, मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना, लखपती दीदी योजना, मुख्यमंत्री आंचल अर्मित योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एवं नंदा गौरा मातृ वंदना योजना आदि योजनाओं को राज्य में लागू किया है। इन योजनाओं के अलावा राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए कई अन्य कदम भी उठाए है। चुनाव के इस रण में जीत किसकी होती है इसका पता तो 4 जून 2024 को ही चलेगा। भारतीय जनता पार्टी अपने जीत के प्रति आश्वस्त है। भाजपा का मानना है कि केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार की वजह से राज्य में विकास को गति मिली है और महिलाओं के सशक्तिकरण को बल मिला है। डबल ईंजन सरकार की वजह से राज्य के विकास में केन्द्र सरकार अभूतपूर्व योगदान रहा है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में राज्य दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति कर रहा है और भाजपा को चुनाव में इसका फायदा होना निश्चित है।

उत्तराखंड राज्य से मिल रही अपुष्ट समाचारों से पता चलता है कि भाजपा एवं कांग्रेस के बीच चुनावी दंगल जारी है। प्रत्येक पार्टी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है। जहां कांग्रेस सत्ता में परिवर्तन के प्रति आश्वस्त है और उसका मानना है कि भाजपा पिछले 10 वर्षों से केन्द्र एवं राज्य में सत्ता में है परन्तु उसने राज्य के विकास के लिए यथोचित्त कदम नहीं उठाये और कांग्रेस का मानना है कि लोग बदलाव के पक्ष में हैं और राज्य में मुस्लमानों का पूर्ण समर्थन कांग्रेस को मिलने का भरोसा है लेकिन यह भी एक तथ्य है कि हरिद्वार लोक सभा सीट के अलावा किसी अन्य सीट पर मुस्लिम मतदाता चुनाव के नतीजे को प्रभावित करने की स्थ्ति में नहीं है। इसके विपरित भाजपा डबल ईंजन सरकार के फायदे गिना रही है। महिला आरक्षण का श्रेय ले रही है। राज्य सरकार द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण कदम जैसे समान नागरिक संहिता, महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण एवं महिला सशक्तिकरण के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के भरोसे चुनाव वेतरणीय पार करने के प्रति भाजपा पूर्णतः आश्वस्त है।

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