त्रयोदशी का महासंयोग: बुध प्रदोष और अनुराधा नक्षत्र
17 दिसंबर 2025 का दिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर इसलिए क्योंकि यह वर्ष का अंत समय है। यह तिथि पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है।
इस दिन को बेहद ख़ास और शक्तिशाली बनाने वाले तीन अद्भुत संयोग हैं:
- बुध प्रदोष व्रत: त्रयोदशी तिथि का बुधवार (बुधवार) को पड़ना, इसे बुध प्रदोष व्रत बनाता है। यह वर्ष का अंतिम प्रदोष व्रत है।
- मासिक शिवरात्रि का आरंभ: प्रदोष काल के साथ ही मासिक शिवरात्रि की पूजा का महत्व भी जुड़ जाता है, जो शाम की शिव आराधना को और भी ज्यादा शक्तिशाली बना देता है।
- अनुराधा नक्षत्र: इस दिन अनुराधा नक्षत्र रहेगा, जिसे ज्योतिष में सफलता, समर्पण और मित्रता बढ़ाने वाला नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र के प्रभाव से सभी धार्मिक कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है।
ज्योतिष और धर्म की दृष्टि से यह दिन भगवान शिव और भगवान गणेश (चूंकि बुधवार है) दोनों की कृपा एक साथ पाने के लिए श्रेष्ठ है। यह शुभ मिलन बुद्धि, व्यापार में वृद्धि और समस्त सुख-समृद्धि के द्वार खोलता है।
आज का पंचांग सार: 17 दिसंबर 2025
| विवरण | तिथि / नक्षत्र / वार | समय / विवरण |
| तिथि | पौष कृष्ण त्रयोदशी | रात 02:32 बजे तक (अगले दिन) |
| दिन / वार | बुधवार | |
| नक्षत्र | अनुराधा | |
| योग | सुकर्मा | |
| करण | गर |
🌅 सूर्य, चंद्रमा और शुभ समय
| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 07 बजकर 08 मिनट पर |
| सूर्यास्त | शाम 05 बजकर 27 मिनट पर |
| चंद्रोदय | सुबह 05 बजकर 21 मिनट पर |
| चंद्रास्त | दोपहर 03 बजकर 52 मिनट पर (अगले दिन) |
🔱 शिव पूजा का विशेष मुहूर्त (प्रदोष काल)
प्रदोष व्रत में पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय प्रदोष काल होता है—यह गोधूलि वेला का समय है जब माना जाता है कि भगवान शिव आनंद तांडव करते हैं।
| मुहूर्त का नाम | शुभ समय | महत्व |
| ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 05:18 से सुबह 06:13 तक | ध्यान और सुबह की पूजा के लिए उत्तम। |
| अभिजीत मुहूर्त | दोपहर 11:57 से दोपहर 12:38 तक | दिन का सबसे शुभ समय। |
| प्रदोष काल (शिव पूजा) | शाम 05:27 से रात्रि 08:11 तक | बुध प्रदोष व्रत पूजा का मुख्य समय। |
| अमृत काल | सुबह 08:18 से सुबह 09:59 तक | नए कार्य शुरू करने के लिए अति उत्तम। |
⚠️ अशुभ समय (टालने योग्य)
| मुहूर्त का नाम | टालने का समय |
| राहु काल | दोपहर 12:17 से दोपहर 01:35 तक |
| यमगंड | सुबह 08:25 से सुबह 09:43 तक |
| गुलिक काल | सुबह 11:00 से दोपहर 12:17 तक |
बुध प्रदोष व्रत का आध्यात्मिक महत्व
वर्ष का अंतिम प्रदोष व्रत बुधवार को पड़ रहा है, इसलिए यह दिन पिछले कष्टों को दूर करने और नए साल में प्रवेश से पहले एक मजबूत आध्यात्मिक आधार तैयार करने के लिए अत्यधिक शक्ति रखता है।
- शिव और गणेश की कृपा: प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा शत्रुओं पर विजय दिलाती है और सभी प्रकार के कष्टों का निवारण करती है। चूँकि बुधवार बुद्धि और व्यापार के कारक बुध ग्रह तथा भगवान गणेश का दिन है, इसलिए इस दिन की गई संयुक्त पूजा से करियर, व्यापार में सफलता और तीव्र बुद्धि की प्राप्ति होती है।
- अनुराधा का वरदान: अनुराधा नक्षत्र के प्रभाव से पूजा, दान और ध्यान का फल कई गुना बढ़ जाता है, जिससे भक्तों को मोक्ष और चिरस्थायी शांति मिलती है।
सुख-समृद्धि के लिए सरल उपाय
बुध प्रदोष और अनुराधा नक्षत्र के शुभ संयोग का लाभ उठाने के लिए आप ये सरल और प्रभावी उपाय कर सकते हैं:
- शिव को अर्पण: बुध प्रदोष पर शिवलिंग पर साबुत हरे मूंग के दाने और शमी के पत्ते अर्पित करना बहुत शुभ होता है। माना जाता है कि इससे व्यापार और करियर की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
- मानसिक शांति: यदि आप मानसिक तनाव से मुक्ति चाहते हैं, तो शिवलिंग पर शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।
- गणेश और गौ सेवा: बुधवार होने के कारण, भगवान गणेश को दूर्वा घास अर्पित करें और गाय को हरा चारा खिलाएँ। यह सोया हुआ भाग्य जगाता है।
- नकारात्मकता का नाश: साल के इस अंतिम प्रदोष पर, शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर शुद्ध घी का दीपक अवश्य जलाएँ। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और नए साल में खुशहाली का आगमन होता है।
वर्ष का यह अंतिम प्रदोष आपको आध्यात्मिक शुद्धि और नव ऊर्जा प्रदान करने का स्वर्णिम अवसर दे रहा है।
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