महिलाओं के लिए सामाजिक सम्मान एवं मानसिक स्वतंत्रता की दरकार

महिलाओं के लिए सामाजिक सम्मान एवं मानसिक स्वतंत्रता की दरकार

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महिलाओं के लिए सामाजिक सम्मान एवं मानसिक स्वतंत्रता की दरकार 2

भारत सरकार ने कार्यालयों में महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम निषेध एवं निवारण) अधिनियम 2013 में पारित किया, जबकि नियुक्त राज्य अमेरिका में इसकी शुरुआत नागरिक अधिकार अधिनियम 1964 के तहत कर दिया गया था।

संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए 1964 नागरिक अधिकार अधिनियम की उपधारा 7 के तहत निर्धारित किया गया है। परन्तु इस अधिनियम में स्पष्ट तौर पर यौन उत्पीड़न का उल्लेख नही है, 1986 में मेरिटर सेविंग्स बैंक बनाम विंसन के महत्वपूर्ण अदालती फैसले ने यह स्थापित किया और स्पष्ट किया कि यौन उत्पीड़न लेंगिक भेदभाव के तहत आता है।

यौन उत्पीड़न का मुद्दा सदियों से समाज में व्याप्त है, परन्तु हाल के वर्षों में इस मुद्दे ने दुनिया की सभी सरकारों और समाज को झकझोरा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकथाम के लिए व्यापक निर्देशिका बनायी गयी है। यह निर्देशिका संघ सरकार एवं राज्य सरकारों का यौन उत्पीड़न के मामले में मार्ग दर्शन करती है। इस निर्देशिका में यौन उत्पीड़न से सम्बंधित सभी समस्याओं के निदान का मार्ग सुझाया गया है।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए बनायी गयी कार्य निर्देशिका की प्रमुख विशेषतायें एवं यौन उत्पीड़न कानूनों को समझने के लिए इससे सम्बंधित कानूनी परिभाषाओं को समझना नितांत आवश्यक हैं। ये परिभाषाये ही, यौन उत्पीड़न की श्रेणी निश्चित करती है और उसके लिए क्या कानूनी प्रावधान है, उनकी भी जानकारी देती है और प्रत्येक श्रेणी के व्यवहार के लिए मानदंड भी स्थापित करती है।

कार्य निर्देशिका की प्रमुख विशेषतायें

अवांछित आचरण यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आने के लिए अंवाछित व्यवहार होना जरुरी है। जिस व्यवहार से पीड़ित को डर लगे और यह महसूस हो कि उसके साथ शत्रुतापूर्वक व्यवहार किया जा रहा है, अवांछित व्यवहार की श्रेणी में आता है।

जहां उत्पीड़न के कारण कर्मचारी के लिए काम करना असहनीय हो जाय और उसे इस्तीफा देना पड़ता है। इस परिस्थिति में नियोक्ता को उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

नौकरी से निकालना, पदोन्नित करना, जिम्मेदारियों में बदलाव करना आदि भी यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आते हैं।

कार्यस्थल से बाहर भी यदि महिलाओं के साथ व्यवहार यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है, तो इसके लिए भी नियोक्ता जिम्मेदार रहेगा इस श्रेणी में ग्राहक, उपभोक्ता या विक्रेता का अवांछित व्यवहार आता है,

निवारणः

यौन उत्पीड़न को रोकने की कोई पारंपरिक परिभाषा नहीं है परन्तु इसके लिए कुछ उपाय सुझाये गये है। इसमें उत्पीड़न विरोधी नीतियों को लागू करना, नियमित प्रशिक्षण आयोजित करना और कार्यस्थल पर सम्मान एवं समानता को बढ़ावा देना है।

कार्यस्थल पर माहौल को बिगाड़ने वाली गतिविधियों की जानकारी जरुरी है। इसमें धमकी देना और आशोभनीय व्यवहार शामिल है।

इस निदेर्शिका में उचित व्यवहार को भी परिभाषित किया गया है। इसमें यह कहा गया है कि नियम, जातिधर्म और लिंग भेद को ध्यान में रखकर न बनाएं जाये। इन सूक्ष्म कानूनी परिभाषाओं को समझना कर्मचारियों, नियोक्ताओं और कानूनी पेशेवरों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। यह कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को पहचानने, रोकने और संबोधित करने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है, एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा देता है जहां सभी व्यक्ति भेदभाव और उत्पीड़न से मुक्त होकर काम कर सकें।

रिपोर्टिग तंत्रः कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए मजबूत रिपोर्टिंग तंत्र की आवश्यकता है। इसके माध्यम से कर्मचारी अपनी चिंतायें व्यक्त कर सकते है और समाधान खोजने की कोशिश कर सकते है। इस प्रक्रिया के माध्यम से ही अपराधियों की जवाबदेही तय की जा सकती है।

आंतरिक रिपोर्टिग प्रक्रियाएः आंतरिक रिपोर्टिग उन कर्मचारियों के लिए प्रारम्भिक कदम है जो कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को अनुभव करते है या देखते है। इसके लिए कार्यालयों में स्पष्ट और सुलभ चैनल स्थापित करने की जरुरत है।

अनाम रिपोर्टिग प्रक्रियाएः यौन उत्पीड़न के मामलों की संवेंदनशीलता के मद्देनजर कुछ संगठन, अनाम रिपोर्टिंग प्रणाली लागू करते हैं। इसके तहत, अपनी पहचान छिपाकर एवं सहज रहकर अपनी भूमिका निभा सकते है।

लोकपाल और मध्यस्थ सेवायेः कुछ संगठन अपने कार्यलयों में यौन उत्पीड़न की समस्या का हल ढूंढने के लिए लोकपाल आदि संस्थानों को मदद भी लेते है।

कर्मचारी सहायता कार्यक्रम (ई ए पी)

इसके तहत कर्मचारियों को यौन उत्पीड़न से बचाव के लिए परामर्श और अन्य सहायतायें प्रदान की जाती है।

आनलाइन रिपोर्टिंगः कई संगठनों ने इस क्षेत्र में भी प्रौद्योगिकी की सहायता लेना शुरु कर दिया है और इसके लिए आन लाइन रिपोर्टिग की व्यव्स्था कर दी गयी है। इसके प्रयोग से जांच की प्रगति पर नजर रखी जा सकती है औऱ गोपनीयता बरकरार रखते हुए निर्णय लेने में आसानी रहती है।

कानूनी सहायता सेवायेः रिपोर्टिग तंत्र के तहत ही कानूनी सहायता प्रदान की जाती है इसके तहत कर्मचारी कानूनी विशेषज्ञ या इस क्षेत्र में कार्यरत गैर- सरकारी संस्थानों से मदद ले सकते है।

श्रम संघः श्रमिक संगठन भी यौन उत्पीड़न के समाधान के लिए कार्य करते है श्रमिकों को उत्पीड़न के दौरान कानूनी सहायता प्रदान करते है।

प्रशिक्षण हॉटलाइनः यौन उत्पीड़न की घटनाओं से निपटने के लिए कुछ संगठन हॉटलाइन सुविधा भी प्रदान करते है और ये सुविधा चौबीसों घंटे उपलब्ध रहती हैं। इनका उद्देश्य रिपोर्टिंग प्रक्रिया के दौरान कर्मचारियों का मार्ग दर्शन करना होता है। अन्तर विभागीय जांच भी यौन उत्पीड़न की चुनौतियों से निपटने में मदद करती हैं। इसके अलावा, सहकर्मी पीड़ितों को आगे आने के लिए समर्थन देते हैं।

नियोक्ताओं के लिए निर्देशः इस नियम में नियोक्ताओं के लिए स्पष्ट नियम बनाये गये है जिनका पालन सुनिश्चित करना, नियोक्ताओं की जिममेदारी होती है। इसके तहत यौन अपराध की श्रेणी की जांचकरना और उसके अनुसार दंड की व्यवस्था करना है।

नियोक्ताओं को व्यापक यौन उत्पीड़न विरोधी नीतियां को तैयार करने का काम दिया है कि किस प्रकार का आचरण यौन उत्पीड़न की किस श्रेणी में आता है और उसके लिए दंड का क्या विधान है। इसके लिए नियोक्ता नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम भी लागू कर सकते है। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में कर्मचारियों को उत्पीड़न को पहचानने, रिपोर्ट करने और इन की रोकथाम के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है। यौन उत्पीड़न की निष्पक्ष एवं त्वरित समाधान भी नियोक्ताओं के लिए अनिवार्य है। उनका रिपोर्टिंग तंत्र सरल एवं आम कर्मचारों को सुलभ रहना चाहिए, साथ ही नियोक्ताओं को अपना निर्णय प्रतिशोध के लिए नहीं लिये जाने के लिए कहा गया है। नियोक्ताओं को यह स्पष्ट करना चाहिए कि प्रतिशोध बर्दास्त नहीं किया जायेगा। सबसे महत्वपूर्ण यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को उचित दंड दिया जाये, इसके तहत ऐसे कर्मचारियों को चेतावनी देना, उनको कार्य स्थल से निल्म्बित करना और उनको कार्यस्थल से हटाना भी शामिल है।

रिपोर्टिंग तंत्र के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाकर, संगठन एक ऐसा वातावरण तैयार कर सकते हैं जो पारदर्शिता, जवाबदेही और यौन उत्पीड़न के उन्मूलन को प्रोत्साहित करता है। नियोक्ताओं के लिए कार्यस्थल की गतिशीलता और कानूनी आवश्यकताओं के उभरते परिदृश्य के अनुकूल इन तंत्रों का लगातार मूल्यांकन करना और उन्हें बढ़ाना अनिवार्य है।

अंतिम विचार

न्याय और समानता की निरंतर खोज में, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई जारी है। प्रत्येक विधायी प्रगति, सांस्कृतिक बदलाव और सामूहिक आवाज जवाबदेही की मांग को बढ़ाती है। हम एक निर्णायक मोड़ पर खड़े हैं जहां चुप्पी अब कोई विकल्प नहीं है, और मिलीभगत प्रगति का अपमान है। अंतिम विचार उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई सिर्फ एक कानूनी दायित्व नहीं है; यह एक नैतिक अनिवार्यता है. हमारे कार्यस्थल सम्मान, प्रतिष्ठा और सशक्तीकरण के अभयारण्य बनें, जहां हर व्यक्ति भेदभाव की छाया से मुक्त होकर पनप सके।

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