जब रावण सीता को हरण करके लंका ले जा रहा था, तो जटायु नाम का एक बूढ़ा गिद्ध पक्षी ने उसे देख लिया।
जटायु (Jatayu)राम का दोस्त था।
उसने रावण को रोका और कहा, “रावण, सीता को छोड़ दो, वे राम की पत्नी हैं।”
रावण ने जटायु की बात नहीं मानी और उससे युद्ध शुरू कर दिया।
जटायु ने पूरी ताकत से रावण से लड़ा, लेकिन रावण बहुत शक्तिशाली था।
उसने अपने तलवार से जटायु के पंख काट दिए।
जटायु घायल होकर जमीन पर गिर गया। फिर भी उसने हार नहीं मानी।
जब राम और लक्ष्मण सीता को ढूंढते हुए वहाँ पहुंचे, तो जटायु ने अंतिम सांसों में बताया, “राम, रावण सीता को लंका ले गया।”
यह कहकर जटायु ने प्राण त्याग दिए।
राम ने जटायु का अंतिम संस्कार किया और उनकी वीरता को याद किया।