
एक बार की बात है, एक छोटा सा कछुआ तालाब के किनारे आराम कर रहा था। उसी जंगल में एक भूखी लोमड़ी रहती थी। वह कई दिनों से भूखी थी और खाने की तलाश में थी। अचानक उसकी नजर उस कछुए पर पड़ी।
लोमड़ी ने सोचा, “अहा! ये तो आसान शिकार है। इसे पकड़कर मैं अपनी भूख मिटा सकती हूं।”
लोमड़ी कछुए के पास आई और मुस्कुराते हुए बोली,”अरे कछुए भैया! आज तो बहुत गर्मी है। क्यों ना तुम मेरे साथ थोड़ा जंगल घूमने चलो। वहाँ ठंडी हवा चलेगी और हमें बहुत मजा आएगा।”कछुए को समझ आ गया कि लोमड़ी की नीयत सही नहीं है। उसने चालाकी से कहा,”ठीक है लोमड़ी बहन, लेकिन पहले तुम मेरे लिए कुछ खाने को लाओ। जब तक तुम खाना लाओगी, मैं यहीं इंतजार करूंगा।”
लोमड़ी सोचने लगी, “अगर मैं कुछ खाना लाकर दूंगी, तो ये मेरा विश्वास कर लेगा और फिर इसे पकड़ना आसान हो जाएगा।”
लोमड़ी खाने की तलाश में चली गई। तभी कछुआ समझ गया कि यह मौका है बच निकलने का। वह धीरे-धीरे पानी में उतर गया और तालाब में तैरकर दूर चला गया।
जब लोमड़ी वापस आई तो उसने देखा कि कछुआ गायब हो चुका है। वह समझ गई कि उसकी चालाकी बेकार गई।
सीख:चालाकी से काम लेने वाला हमेशा मुश्किल से बच जाता है।