Woman sitting back in chair at a wooden desk with laptop in a cozy, artistic office space. करियर में 'क्वाइट क्विटिंग' क्यों कर रही हैं महिलाएँ? काम और ज़िंदगी के बीच संतुलन की नई परिभाषा

करियर में ‘क्वाइट क्विटिंग’ क्यों कर रही हैं महिलाएँ? काम और ज़िंदगी के बीच संतुलन की नई परिभाषा

बर्नआउट से मुक्ति: जब महिलाएँ कहती हैं, “बस इतना ही!”

पिछले कुछ वर्षों में, दुनिया भर के कॉर्पोरेट जगत में एक नया ट्रेंड चर्चा में है: ‘क्वाइट क्विटिंग’ (Quiet Quitting)। इस शब्द का अर्थ यह नहीं है कि कोई कर्मचारी वास्तव में नौकरी छोड़ रहा है, बल्कि इसका मतलब है मानसिक और भावनात्मक रूप से नौकरी छोड़ देना। यानी, कर्मचारी अब केवल वही काम करते हैं जो उनकी नौकरी के विवरण (Job Description) में स्पष्ट रूप से लिखा गया है। वे अतिरिक्त ज़िम्मेदारी नहीं लेते, देर तक काम नहीं करते और ‘ऊपर से’ कुछ भी नहीं करते।

यह ट्रेंड वैश्विक स्तर पर तेज़ी से बढ़ा है, और यह देखा जा रहा है कि पुरुष कर्मचारियों की तुलना में महिलाएँ इसे अधिक अपना रही हैं। सवाल यह है कि करियर में महत्वाकांक्षी समझी जाने वाली महिलाएँ आखिर ऐसा क्यों कर रही हैं?

‘क्वाइट क्विटिंग’ और महिलाओं का दोहरा बोझ

महामारी के बाद के युग में महिलाओं पर काम का बोझ और भी बढ़ गया है। महिलाओं के ‘क्वाइट क्विटिंग’ अपनाने के पीछे कई गंभीर और प्रामाणिक कारण हैं:

1. अदृश्य श्रम का दोहरा बोझ (The Double Burden)

अधिकांश समाजों में, घर और बच्चों की देखभाल की प्राथमिक ज़िम्मेदारी आज भी महिलाओं पर है। ऑफिस का काम खत्म करने के बाद, उन्हें ‘घर का दूसरा शिफ्ट’ शुरू करना पड़ता है।

  • परिणाम: जब महिलाएँ ऑफिस में अतिरिक्त घंटे काम करती हैं या अपने पद से ऊपर उठकर ज़िम्मेदारियाँ लेती हैं, तो इसका सीधा प्रभाव उनके व्यक्तिगत जीवन, स्वास्थ्य और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों पर पड़ता है।
  • समाधान: ‘क्वाइट क्विटिंग’ के माध्यम से महिलाएँ काम की सीमाएँ तय करती हैं ताकि उन्हें अपने अदृश्य श्रम (Invisible Labour) के लिए ऊर्जा और समय मिल सके।

2. बर्नआउट और मानसिक स्वास्थ्य (Burnout and Mental Health)

निरंतर उच्च प्रदर्शन (High Performance) की उम्मीद और घर-बाहर के तनाव ने महिलाओं में बर्नआउट की दर को बहुत बढ़ा दिया है।

  • एक अध्ययन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर महिला कर्मचारियों में तनाव और बर्नआउट की दर पुरुष सहकर्मियों की तुलना में अधिक है।
  • क्वाइट क्विटिंग महिलाओं को खुद को प्राथमिकता देने, सीमाएँ खींचने और मानसिक स्वास्थ्य को पुनर्स्थापित करने का एक तरीका देता है।

3. समान वेतन और पहचान की कमी (Lack of Equal Pay and Recognition)

महिलाएँ अक्सर यह महसूस करती हैं कि अतिरिक्त प्रयास करने, देर तक रुकने, या ‘ऊपर से’ काम करने के बावजूद उन्हें पुरुषों के बराबर वेतन या पदोन्नति नहीं मिलती।

  • जब अतिरिक्त प्रयास का सही मौद्रिक या करियर लाभ नहीं मिलता, तो कर्मचारी (विशेषकर महिलाएँ) हतोत्साहित हो जाती हैं और केवल ‘ज़रूरी’ काम तक ही खुद को सीमित कर लेती हैं।

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‘क्वाइट क्विटिंग’ नहीं, संतुलन की मांग

कई विशेषज्ञ इसे नौकरी छोड़ने का नकारात्मक रवैया नहीं मानते, बल्कि इसे कार्यस्थल पर संतुलन (Work-Life Balance) की मांग के रूप में देखते हैं।

यह ट्रेंड महिला कर्मचारियों के लिए आत्म-सम्मान और स्वास्थ्य की रक्षा करने का एक तरीका बन गया है। वे अब बिना किसी अपराधबोध (Guilt) के अपने काम की सीमाएँ तय कर रही हैं, जैसे:

  • निर्धारित समय के बाद ईमेल का जवाब न देना।
  • केवल वही मीटिंग अटेंड करना जो अनिवार्य हैं।
  • बिना किसी मुआवजे के अतिरिक्त परियोजनाओं को अस्वीकार करना।

भविष्य की दिशा: कंपनियों को क्या करना चाहिए?

यदि कंपनियाँ प्रतिभाशाली महिला कर्मचारियों को खोना नहीं चाहतीं, तो उन्हें इस प्रवृत्ति पर ध्यान देना होगा:

  1. कार्य का लचीलापन (Flexibility): महिलाओं की घरेलू ज़िम्मेदारियों को ध्यान में रखते हुए काम के घंटे और जगह (Hybrid Work) में अधिक लचीलापन प्रदान करना।
  2. समान मूल्यांकन: बिना पक्षपात के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना और समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित करना।
  3. बर्नआउट समर्थन: मानसिक स्वास्थ्य और बर्नआउट से निपटने के लिए संगठनात्मक सहायता (Counselling and Resources) प्रदान करना।

‘क्वाइट क्विटिंग’ एक चेतावनी है कि महिलाओं के लिए काम अब उनके जीवन का एकमात्र केंद्र बिंदु नहीं है। वे अब एक ऐसी दुनिया चाहती हैं जहाँ करियर और निजी जीवन के बीच सम्मानजनक संतुलन हो।

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